ब्रेस्ट कैंसर महिलाओं में सबसे अधिक होने वाला कैंसर है। इसके लक्षण, कारण और इलाज के बारे में ज्यादा जानकारी दे रहे हैं डॉक्टर शशांक निगम, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट।
- ब्रेस्ट कैंसर के कारण
- ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण
- ब्रेस्ट कैंसर का परीक्षण
- ब्रेस्ट कैंसर का इलाज
- इलाज का ख़र्च
- डॉक्टर की सलाह
शरीर के किसी भी हिस्से में जब कोशिकाएं अनियंत्रित होकर बढ़ने लगती हैं तो उस हिस्से में मांस का लोथड़ा बन जाता है जिसे कैंसर कहा जाता है। कैंसर को दो भागों में बांटकर देखा जाता है जिसमें शरीर के सभी तंत्रों में कैंसर हो सकता है और दूसरा ब्लड कैंसर जिसमें ख़ून की कोशिकाएं जिन्हें लिम्फनोट्स कहा जाता है, कैंसर हो जाता है।
ब्रेस्ट कैंसर के कारण (Causes of breast cancer in Hindi)
हमारी कोशिकाओं में मौजूद डीएनए में जब किसी तरह की गड़बड़ी होती है तब वह कैंसर के रूप में सामने आती है। इस गड़बड़ी के कारण कोशिकाएं सामान्य गति से बढ़ने की बजाय अनियंत्रित होकर बढ़ने लग जाती हैं। ब्रेस्ट कैंसर जेनेटिक कारणों से भी हो सकता है। यदि परिवार के लोगों में चाहे वह महिला हो या पुरूष, किसी तरह का कैंसर हो तो अन्य लोगों में भी कैंसर होने की संभावना रहती है। हालांकि जेनेटिक कारणों की बात करें तो ब्रेस्ट कैंसर का अनुपात बहुत कम है। 100 में से केवल 8 या 10 मामलों में ही ब्रेस्ट कैंसर अनुवांशिक कारणों से पाया जाता है।
ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण (Symptoms of breast cancer in Hindi)
ब्रेस्ट कैंसर एक गांठ के तौर पर दिखता है जिसमें अधिकतर दर्द नहीं होता है। यदि छाती में किसी तरह की गांठ बन रही हो, जिसमें दर्द ना हो तो फ़ौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसके अलावा निप्पल से गंदे पानी या फिर ख़ून का निकलना भी ब्रेस्ट कैंसर होने के लक्षण हैं। इसके अलावा छाती की त्वचा में किसी तरह का उभार या गड्ढा होने पर भी सावधान हो जाना चाहिए। कभी कभी कैंसर दूसरे हिस्सों में भी फैल जाता है जिससे कांख के नीचे गांठ या फिर हड्डियों में दर्द हो सकता है। ख़ासकर 30 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को इसके प्रति जागरूक होना चाहिए कि उनकी छाती में किसी तरह की गांठ तो नहीं बन रही। कई बार गांठे बहुत दिनों तक वैसी ही बनी रहती है यानि उनमें किसी तरह का बदलाव नहीं होता।
ब्रेस्ट कैंसर का परीक्षण (Tests of breast cancer in Hindi)
इसकी जांच के लिए सबसे पहले मरीज़ की पूरी हिस्ट्री ली जाती है और साथ ही हाथों से छू कर गांठ का परीक्षण किया जाता है। दूसरा परीक्षण का तरीक़ा है मैमोग्राम जो कि एक तरह का एक्स रे होता है। इसमें ब्रेस्ट को दो प्लेटों के बीच दबाकर बीमारी का पता लगाया जाता है। मैमोग्राम की सबसे अच्छी बात ये है कि इससे छोटी सी छोटी दिक्कत का भी पता लगाया जा सकता है। जिस तरह से लोग हर साल कई तरह की जांच कराते हैं उसी तरह महिलाओं को भी हर साल मैमोग्राम द्वारा अपने ब्रेस्ट की जांच करवानी चाहिए क्योंकि इससे बीमारी पहले ही पकड़ में आ जाती है। कई बार गांठ बनने से पहले ही बीमारी का पता चल जाता है जिसे प्री कैंसर स्टेज कहते हैं और इसमें कीमो थेरेपी जैसे इलाज की ज़रूरत ही नहीं पड़ती। इन दोनों जांच के अलावा बायोप्सी जांच से भी कैंसर का पता लगाया जाता है। इस विधि में मांस का एक छोटा टुकड़ा लेकर माइक्रोस्कोप द्वारा जांच की जाती है।
ब्रेस्ट कैंसर का इलाज (Treatment of breast cancer in Hindi)
ब्रेस्ट कैंसर का इलाज मुख्य तौर पर तीन तरह से किया जाता है जिसमें से एक है सर्जरी। ऑपरेशन द्वारा मरीज़ की गांठ या फिर पूरे स्तन को काट कर बाहर निकाल दिया जाता है। इसके अलावा कीमो थेरेपी में हर 2 या 3 हफ्तों पर इंजेक्शन लगाए जाते हैं जिसके कम से कम छह से आठ साइकल पूरे करने पड़ते हैं। आजकल कीमो थेरेपी की दवाइयां पहले से कहीं ज्यादा असरदार होती हैं और इसके साइड इफेक्ट्स भी कम होते हैं। क्योंकि हर दवाई का अपना एक दुषप्रभाव होता है इसलिए कीमो थेरेपी के दौरान बाल झड़ते हैं लेकिन ये बाल दोबारा आ जाते हैं। तीसरी विधि है रेडियो थेरेपी जिसमें मरीज़ की सिकाई की जाती है। ये एक बहुत ही सुरक्षित इलाज का तरीक़ा है जिसमें सिकाई होने वाली जगह पर थोड़ी बहुत त्वचा जल सकती है। इन तीनों विधियों के अलावा एक और तरह का इलाज है जिसे हॉरमोन थेरेपी कहते हैं, हालांकि ये विधि केवल उन ही महिलाओं पर लागू की जा सकती हैं जिनकी हॉरमोन रिसेप्टर जांच पॉज़िटिव आती है। इन सभी के अलावा सबसे नई तरह की विधि है टारगेटेड थेरेपी।
इलाज का ख़र्च (Cost of treatment in Hindi)
देश के लगभग सभी मेडिकल कॉलेजों और सरकारी अस्पतालों में ब्रेस्ट कैंसर का इलाज होता है जहां सिर्फ़ कुछ ही जांच के पैसे लगते हैं। बाकी निजी अस्पतालों में मरीज़ की स्थिति और इलाज की विधियों के अनुसार अलग अलग ख़र्च आता है।
डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)
आमतौर पर ब्रेस्ट कैंसर 50 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को होता है लेकिन हमारे देश में 30 से 35 साल की कम उम्र की औरतों में भी ब्रेस्ट कैंसर हो रहा है। ज़रूरी नहीं कि छाती में होने वाली हर गांठ कैंसर ही हो लेकिन बिना दर्द वाले गांठ दिखने पर डॉक्टर से तुरंत जांच करानी चाहिए।
डिस्कलेमर – ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर शशांक निगम, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Breast Cancer , in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Shashank Nigam (Surgical Oncologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.