आपने कई लोगों को अचानक कांपते या फिर बेहोश होते देखा होगा। कभी कभी बिल्कुल स्वस्थ दिख रहा व्यक्ति अचानक गिर जाता है या उसके हाथ पैर अकड़ जाते हैं। दरअसल ये एक बीमारी है जिसे मिर्गी कहते हैं। क्या है मिर्गी के लक्षण और क्या है इसका पक्का इलाज, बता रहे हैं डॉक्टर अतुल कुमार रॉय, न्यूरोलॉजिस्ट।  

हमारे पूरे शरीर को नियंत्रित करता है हमारा छोटा सा दिमाग़ जिसमें नसों का एक जाल सा बना होता है। ये नसें हमारे शरीर के अलग अलग हिस्सों को कंट्रोल करती हैं। इन नसों में एक तरह की तरंगे पैदा होती हैं और जब किसी वजह से इन्हीं तरंगों की आवाजाही बहुत तेज़ हो जाती है, तो व्यक्ति को मिर्गी का दौरा पड़ता है जिसे मेडिकल भाषा में एपीलेप्सी (Epilepsy) कहते हैं। मिर्गी का दौरा पड़ने से व्यक्ति के हाथ-पैर अकड़ जाते हैं या उनमें झटके आते हैं। इसके अलावा उल्टियां हो सकती हैं या फिर मल-मूत्र निकल सकता है। व्यक्ति की जीभ कट सकती है और वह बेहोश हो सकता है। आमतौर पर मिर्गी का अटैक अचानक ही होता है जबकि कुछ मामलों में मरीज़ इसके बारे में पहले से ही अंदाज़ा लगा लेते हैं। 

Epilepsy

मिर्गी के प्रकार (Types of Epilepsy in hindi)

मिर्गी कई तरह की होती है इसलिए इसके बारे में जानना, समझना और चौकन्ना रहना बहुत ज़रूरी है। कई बार मिर्गी का अटैक एक हिस्से से शुरू होकर दूसरे हिस्से में जा सकता है और इससे मरीज़ बेहोश हो जाता है। अक्सर लोग झटके आने और बेहोश होने को ही मिर्गी समझते हैं लेकिन ऐसा नहीं है। कुछ लोग बाते करते करते अचानक चुप हो जाते हैं या कहीं खो जाते हैं और थोड़ी देर बाद वो दोबारा बातचीत करने लगते हैं, दरअसल ये भी एक तरह का मिर्गी का अटैक होता है। बच्चों को भी मिर्गी का दौरा पड़ता है जिसमें वे आंखों को बार बार झपकते हैं और फिर आंखें एक ही जगह पर स्थिर हो जाती हैं। कई बार लोगों को झटके आते हैं और हाथों से चीज़े छूट जाती हैं। ये सभी मिर्गी के प्रकार हैं और इसमें ध्यान देने वाली बात ये है कि मरीज़ अटैक के बाद जब ठीक हो जाता है तो उसे इस बारे में कुछ भी याद नहीं होता कि उसके साथ क्या हुआ था। मिर्गी के दौरे को पहचानना बहुत ज़रूरी है वर्ना इसके परीक्षण में गलतियां होने की संभावनाएं हो सकती हैं। 

क्यों पड़ता है मिर्गी का दौरा (Why does epilepsy attack in hindi)

मिर्गी का दौरा पड़ने के दो प्रमुख कारण हैं – एक जेनेटिक यानि पारिवारिक कारण जिसमें व्यक्ति के जीन्स में किसी तरह की गड़बड़ी होने से ये बीमारी होती है। हालांकि जेनेटिक कारण काफ़ी कम लोगों में देखने को मिलता है। वहीं बात करें दूसरे कारण की तो वह है पेट में होने वाले कीड़ों का दिमाग़ में चले जाना। भारत में मिर्गी के मरीज़ों में सबसे ज्यादा यही कराण पाया जाता है। लेकिन इन दोनों के अलावा औऱ भी कई वजह हैं जिससे दौरा पड़ सकता है जैसे दिमाग़ में चोट लगना, ब्रेन हैम्रेज होना, दिमाग़ की नसें फटना, खून जमना, पैरालीसिस होना, शरीर में नमक की कमी हो जाना, डायबीटीज़ के मरीजों का शुगर कम हो जाना वगैरह। इसके अलावा रात में नहीं सोने से, नशे की दवाईयां लेने से और कुछ एंटी बायोटिक दवाईयों से भी मिर्गी का दौरा पड़ सकता है।   

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क्या है इसके लक्षण? (Symptoms of Epilepsy in hindi)

शरीर के किसी भी हिस्से में झटके आना, बेहोश हो जाना, मुंह से झाग निकलना, हाथ-पैर अकड़ना, जीभ कटना इसके प्रमुख लक्षण हैं। इसके अलावा बात करते करते खो जाना और चीजें हाथ से छूट जाना भी मिर्गी के अटैक के लक्षण होते हैं। 

क्या है इसका इलाज (Treatment of Epilepsy in hindi)

सबसे पहले बीमारी का सही डायग्नोसिस करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि कई बार मिर्गी के लक्षण दूसरी बीमारियों से मिलते जुलते होते हैं। इसलिए मरीज़ को मिर्गी की बीमारी है या नहीं ये पता लगाना होता है। इसका पता लगाने के लिए दो आधार होते हैं – एक मरीज़ की हिस्ट्री और दूसरा घटना को देखने वाला कोई चश्मदीद यानि जिसने मरीज़ को दौरै पड़ते देखा हो क्योंकि कई बार मरीज़ के सभी टेस्ट करवाने पर उसके रिपोर्ट सामान्य आते हैं लेकिन इसके बावजूद उसे दौरा पड़ता है। परीक्षण के बाद डॉक्टर बीमारी की वजह का पता लगाते हैं कि किन कारणों से मरीज़ को अटैक आता है औऱ उसी मुताबिक एंटी एपीलेप्सी दवाईयां देते हैं। साथ ही डॉक्टर मरीज़ों को ये भी बताते हैं कि अगर दवाईयों से किसी तरह का साइड इफेक्ट हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। डॉक्टर मरीज़ को कम से कम सात-आठ घंटों की नींद लेने की सलाह देते हैं। ये आठ घंटों की नींद का वक्त भी रात में 10 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक या 11 बजे से लेकर सुबह 6 बजे तक होना चाहिए। साथ ही किसी भी तरह के स्क्रीन जैसे टीवी, कंप्यूटर, मोबाइल वगैरह का ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि ये मिर्गी के मरीज़ों के लिए बहुत ही घातक होता है।  

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कैसे कर सकते हैं बचाव? (How it can be prevented in hindi) 

अगर किसी को ये बीमारी है तो उसे नियमित तौर पर बिना छोड़े दवाइयां खानी चाहिए। देर रात तक जागना नहीं चाहिए और किसी तरह की नशे की दवाइ नहीं लेनी चाहिए। तनाव को कम करें, समय पर सही भोजन करें, खाली पेट ना रहें और व्यायाम करें।  

अंधविश्वास से रहें दूर (Stay away from superstitions in hindi) 

कई लोगों को ये भ्रांति है कि आग के पास जाने पर मिर्गी का दौरा पड़ता है लेकिन ये सही नहीं है बल्कि इसे सावधानी के तौर पर लिया जाता है क्योंकि आग के आसपास अगर किसी को दौरा पड़ जाए, तो वह उसमें गिर सकता है। इसलिए मिर्गी के मरीज़ों को आग और पानी से दूर रहने की सलाह दी जाती है। साथ ही मिर्गी के मरीज़ों को ड्राइविंग करनी चाहिए या नहीं ये अभी भी एक बहस का मामला है लेकिन अगर मरीज़ की बीमारी कंट्रोल है, तो उन्हें थोड़ी दूरी तक ही गाड़ी चलाने की सलाह दी जाती है। वहीं समाज में ये अंधविश्वास फैला है कि मिर्गी एक छूआछूत की बीमारी है। कई लोग ऐसा मानते हैं कि मिर्गी के मरीज़ों को छूने से या साथ बैठने और खाने पीने से ये बीमारी उन्हें भी हो सकती है जबकि ये सरासर ग़लत है। मिर्गी की बीमारी एक से दूसरे व्यक्ति को नहीं फैलती है। यही नहीं कई लोग इसे भूत-प्रेत का साया मानते हैं जो सही नहीं है। मिर्गी के मरीज़ बाकी दूसरी बीमारियों से पीड़ित लोगों की ही तरह होते हैं जो सही इलाज से बिल्कुल ठीक हो जाते हैं।  

डिस्कलेमर – एपीलेप्सी (मिर्गी का दौरा), इसके लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर अतुल कुमार रॉय, न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है। 

Note: This information on Epilepsy Disease, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Atul Kumar Roy (Neurologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.