Swasthya Plus Hindi

एचआईवी (एड्स) के बारे में बनें जागरूक

hiv aids in hindi
एड्स – जागरूकता ही बचाव -जानें कारण, लक्षण और उपचार | Dr Ajay Shakar Tripathi on HIV / AIDS in Hindi

एचआईवी (एड्स) को लेकर आज भी हमारे समाज में एक डर और भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इससे बचाव के लिए सरकार द्वारा बहुत से अभियान चलाए गए हैं फिर भी, भारत में इससे पीड़ित कई मरीज़ पाए जाते हैं। क्यों एड्स को एक लाइलाज बीमारी के तौर पर देखा जाता है और कैसे कर सकते हैं इससे बचाव, आइए जानते हैं डॉ अजय शंकर त्रिपाठी से।  

पिछले कई दशकों से हमारे समाज में एचआईवी (एड्स) को लेकर बहुत ज्यादा डर बना हुआ है। हालांकि, इसकी रोकथाम के लिए कई तरह के कार्यक्रम भी चलाए जाते रहे हैं लेकिन इसे ख़त्म करने के लिए जागरूक होना ही सबसे बड़ा हथियार है इसलिए लोगों को इससे डरने की बजाय जानकारी बढ़ानी चाहिए। 

क्या होता है एचआईवी (एड्स)? (What is HIV (AIDS) in Hindi)

एचआईवी (Human Immunodeficiency Virus) एक वायरस होता है और एड्स (Acquired Immunodeficiency Syndrome) इस वायरस के कारण होने वाली बीमारी का नाम है। एचआईवी वायरस दो तरह के होते हैं – एचआईवी -1 और एचआईवी – 2 जिनमें से एचआईवी – 1 भारत में अधिक देखने को मिलता है।  

एचआईवी (एड्स) के लक्षण (Symptoms of HIV (AIDS) in Hindi)

शुरूआती तौर पर इसके लक्षण देखने से पहचान में नहीं आते लेकिन दूसरी बीमारियों की तरह ही इसमें व्यक्ति बहुत ही कमज़ोर हो जाता है। इसके अलावा एड्स के मरीज़ किसी ना किसी बीमारी का शिकार होते रहते हैं। हालांकि एड्स की पुष्टि के लिए जांच कराना आवश्यक होता है क्योंकि सीधे तौर पर इसके लक्षण दिखायी नहीं देते हैं। जो लोग रक्तदान करते हैं, उनके रक्त को इस्तेमाल करने से पहले न्यूक्लिक एसिड टेस्ट करके एचआईवी वायरस का पता लगाया जाता है। इस तरह की जांच की सुविधा से एड्स को फैलने से रोकने में काफ़ी सफलता मिली है।  

कैसे फैलता है एचआईवी वायरस? (How is HIV virus spread in Hindi) 

इसके फैलने के मुख्य रूप से तीन कारण हैं जिनमें से सबसे पहला है सेक्स के द्वारा जिसमें संक्रमित व्यक्ति के किसी सामान्य व्यक्ति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से ये फैलता है। इसके अलावा संक्रमित सूई के इस्तेमाल से और संक्रमित मां से उसके होने वाले बच्चे में भी ये वायरस चला जाता है। 

एचआईवी के संक्रमण से कैसे बचें? (How to prevent HIV infection in Hindi) 

जिस माध्यम से एचआईवी फैलता है, उसी माध्यम पर रोक लगाने की ज़रूरत है इसलिए किसी व्यक्ति को ख़ून चढ़ाने से पहले ये सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि वह ख़ून संक्रमित है या नहीं। हो सके तो मरीज़ के लिए परिवार के सदस्य ही ब्लड डोनेट करें। इसके अलावा इंजेक्शन के इस्तेमाल से पहले ये ज़रूर चेक करें कि उसकी सूई नई है या नहीं। पहले भी इस्तेमाल की गई सिरिंज का कतई इस्तेमाल ना करें क्योंकि इससे संक्रमण फैलता है। इसके लिए अस्पताल के कर्मचारियों को सूई के इस्तेमाल के साथ साथ इसके डिस्पोज़ल की भी ट्रेनिंग दी जाती है। यही नहीं, जो लोग एक से ज्यादा लोगों से शारीरिक संबंध रखते हैं उनमें भी एचआईवी वायरस फैलने का ख़तरा सबसे अधिक होता है। अपने और अपने साथी के बचाव के लिए सेक्स से संबंधित सुरक्षा उपायों का उपयोग करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं के सभी तरह के टेस्ट किए जाते हैं जिनमें से एचआईवी भी एक है। अगर कोई गर्भवती महिला एचआईवी पाज़िटिव हो तो, उसका इलाज शुरू कर दिया जाता है। 

एचआईवी (एड्स) का इलाज (Treatment of HIV (AIDS) in Hindi) 

दुर्भाग्यवश अभी तक एड्स के इलाज के लिए किसी भी तरह का टीका नहीं बन पाया है। वैक्सीन के ना होने पर जागरूकता और बचाव को ही इसके इलाज के तौर पर देखा जाता है। इसके लिए जो दवाइयां दी जाती हैं, उनसे बीमारी पूरी तरह ठीक नहीं होती लेकिन इन दवाइयों से वायरस का असर थोड़ा कम हो जाता है और मरीज़ लंबे समय तक एक स्वस्थ जीवन बिता पाता है। इस बीमारी से घबराएं नहीं क्योंकि कई लोग डर और शर्म के कारण बीमारी छुपाने लगते हैं और इलाज नहीं कराने के कारण स्थिति ज्यादा बिगड़ जाती है। एड्स से लड़ने के लिए पाज़िटिव सोच का होना बहुत ज़रूरी है। ऐसे बहुत से लोग हैं जो नियमित तौर पर दवाइयां लेते हुए एक खुशहाल जीवन जी रहे हैं।  

अफ्रीकी देशों से निकलकर यह रोग लगभग 80 के दशक में हमारे देश में तेज़ी से फैल रहा था और इसके साथ ही समाज में फैल रही थीं इससे जुड़ी कई तरह की भ्रांतियां जो आज भी मौजूद है। इस बीमारी के फैलने के तीन मुख्य कारण हैं और इन्हें छोड़कर बाकी किसी भी गतिविधयों से ये नहीं फैलता। किसी से बात करने, हाथ मिलाने, साथ खाने, कपड़े इस्तेमाल करने वगैरह से एड्स नहीं फैलता। इसलिए ज़रूरी है कि जिन कारणों से ये फैलता है उसपर रोक लगाएं और सावधान रहें।  

डिस्कलेमर – एचआईवी (एड्स) रोग के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर अजय शंकर त्रिपाठी, पैथोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है। 

Exit mobile version