कोविड 19 से ठीक हो चुके कई मरीजों में ब्लैक फंगस (म्यूकोर्मिकोसिस) पाए जाने के मामलों के बीच देश में ग्रीन फंगस (एस्परगिलोसिस) का पहला मामला सामने आया है। ग्रीन फंगस के इस पहले केस के साथ कोविड से ठीक हो चुके लोगों में, नये किस्म के इस दुर्लभ फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ने की संभावना है।
आपकी जानकारीे के लिए बता दें कि मध्य प्रदेश के इंदौर में 34 वर्षीय कोविड-19 मरीज में इसके लक्षण नजर आए है। मरीज के साइनस, फेफड़े और रक्त में हरे रंग का फंगस संक्रमण पाया गया। बताया जा रहा है कि इस फंगस के कारण मरीज के फेफड़े 90 फीसदी संक्रमित हो गए है। यह बेहद घातक स्थिति है।
फिलहाल, हम आपको इसके शुरुआती लक्षणों के साथ-साथ इसके रोकथाम से सम्बन्धित जानकारी से आगाह कर देना चाहेगें, जिससे आप प्राथमिकी तौर पर स्वंय से सावधानी बरत सकें।
शुरुआती लक्षण
तेज बुखार और नाक से खून बहना इसके पहले लक्षणों में शामिल है। कमजोरी या थकान महसूस होना या वजन का घटना इसके अन्य लक्षण है। कम या कमजोर प्रतिरोधक क्षमता (इम्यून सिस्टम) या फेफड़ों की बीमारियों वाले लोगों में इसके विकसित होने का खतरा अधिक होता है।
ऐसे करें रोकथाम
– मुॅंह और शारीरिक स्वच्छता पर खास तौर से ध्यान रखें।
– बहुत अधिक धूल-मिटटी और दूषित पानी वाले जगहों में इसके होने की संभावना अधिक है, इसलिए इससे बचने के लिए सदैव एन-95 मास्क पहनें रहें।
-अपने चेहरे और हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोए, खासकर जब आप मिट्टी या धूल के संपर्क में आए हों।
– ग्रीन फंगस के किसी तरह के उपरोक्त लक्षण नज़र आने पर डाक्टर से तुरंत संपर्क करें।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि देश में अब तक विभिन्न जगहों में काले, सफेद और पीले फंगस के मामले सामने आएं, लेकिन कल से पहले ग्रीन फंगस का मामला सामने नहीं आया। विशेषज्ञ फंगस कलर कोडिंग पर एकमत नहीं हैं। एक डॉक्टर का कहना है, फंगल संक्रमण का कोई रंग कोडिंग नहीं है। केवल एक चीज यह है कि यह एस्परगिलस फंगस या म्यूकोर्मिकोसिस है।
फंगल संक्रमण के कलर कोडिंग के सम्बन्ध में पूछे जाने पर एक अन्य डॉक्टर का कहना है इस तरह के संक्रमण से कोई शरीर का रंग नहीं बदलता, चूंकि परीक्षण के दौरान लैब कल्चर में रंग दिखाई देते है जिनके आधार पर वायरस को इस तरह के नाम दिये जाते है।