क्या आप अपनी रखी हुई चीज़ें भूल जाते हैं या फिर आपको दूसरों की कही गई बातें याद नहीं रहती और क्या इससे आपके जीवन में दिक्कतें हो रही हैं, अगर ऐसा है तो इसे याददाश्त खोने की बीमारी कहा जाता है। आइए जानते हैं डॉक्टर सुधीर कुमार वर्मा, मेडीसिन स्पेश्लिस्ट से इस बीमारी के बारे में। 

हमारा दिमाग़ बहुत सारे काम करता है और पूरे शरीर को नियंत्रित करता है। हमारे मस्तिष्क का एक महत्वपूर्ण काम होता है चीज़ों को याद रखना जिसे याददाश्त यानि मेमोरी कहते हैं। समय और परिस्थितयों के अनुसार याददाश्त कम होना एक सामान्य बात है लेकिन अगर आपकी याददाश्त इतनी ज्यादा कमज़ोर होने लगे कि इससे रोज़मर्रा के जीवन पर प्रभाव पड़ने लगे, तो यह गंभीर बात है और इसे दिमेंशिया (Dementia) कहते हैं। 65 साल की उम्र के बाद लगभग 5 प्रतिशत लोग चीज़ें भूलने लगते हैं जबकि 85 साल के बाद 15 से 20 प्रतिशत वृद्ध लोगों में याददाश्त खोने की बात पायी जाती है। 

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कमज़ोर याददाश्त के लक्षण (Symptoms of memory loss in Hindi)

शुरूआत में लोग छोटी छोटी चीज़ें भूलने लगते हैं जैसे रखी हुई चीज़ें भूलना, कही हुई बातें भूलना, खाने पीने की बातें भूलना। यहां तक की व्यक्ति अपने घर का पता और जान पहचान के लोगों को भी भूलने लग जाता है। याददाश्त कमज़ोर होने पर लोगों को शब्द बोलने में भी दिक्कत होने लगती है। धीरे धीरे ऐसे लोगों में चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन बढ़ने लगता है क्योंकि उन्हें ऐसा लगता है कि लोग उनकी बातों को सही तरह से नहीं समझ पाते।  

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याददाश्त खोने का कारण (Causes of memory loss in Hindi)

सामान्य तौर पर बुज़ुर्गों में ये बीमारी एलज़ाइमर (Alzheimer) के कारण होती है। इसके अलावा दिमाग़ पर किसी तरह के स्ट्रोक लगने पर भी याददाश्त कमज़ोर होने लगती है और साथ ही मरीज़ के हाथों में कंपन, चलने फिरने में दिक्कत भी होती है। कभी कभी विटामिन और फॉलिक एसिड की कमी के कारण भी याददाश्त खोने की बीमारी होती है। साथ ही लीवर, किडनी या किसी दूसरी क्रोनिक बीमारियों की वजह से भी याददाश्त खोने की शंका हो सकती है।  

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क्या है इसका इलाज? (What is its treatment in Hindi)

इसके इलाज के लिए सबसे पहले ये देखा जाता है कि याददाश्त खोने की वजह क्या है? अगर याददाश्त एलज़ाइमर के कारण कमज़ोर हो रही है तो इसके लिए दवाइयों के साथ साथ मरीज़ को व्यायाम और मेडिटेशन करने की सलाह दी जाती है। साथ ही जीवनशैली में बदलाव करने के लिए भी कहा जाता है। इसके अलावा डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, मोटापा, कॉलेस्ट्रॉल के कारण जब वसक्यूलर डिमेनशिया (Vascular Dementia) होता है यानि मस्तिष्क पर स्ट्रोक पड़ता है, तो भी मेमोरी कमज़ोर हो जाती है इसलिए इन सभी कारणों को पहले कंट्रोल किया जाता है और साथ ही स्ट्रोक के लिए दवाइयां दी जाती हैं। थायरॉइड की कमी के कारण, विटामिन बी 12 की कमी के कारण अगर याददाश्त कमज़ोर हो रही हो तो ऐसे में इनके सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं। लीवर और किडनी की बीमारी के कारण अगर मरीज़ चीज़ें भूल रहा है तो उनका इलाज किया जाता है। सभी तरह के इलाज के साथ व्यायाम और परिवार का सपोर्ट होना बेहद ज़रूरी है। इसके अलावा मरीज़ को अपनी डायरी में ज़रूरी बातें लिखने की सलाह दी जाती है।  

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कमज़ोर याददाश्त से बचाव (Prevention of memory loss in Hindi) 

याददाश्त कमज़ोर ना हो इसके लिए व्यक्ति को अच्छी डाइट लेना बहुत ज़रूरी है, खानपान इस तरह का हो जिसमें सभी तरह के तत्व शामिल हों। इसके अलावा यदि थायरॉइड, डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर वगैरह की बीमारी है तो इसका इलाज कराएं, वज़न सामान्य से ज्यादा ना बढ़ने दें, व्यायाम करें, मेडिटेशन करें।  

परिवार के सदस्यों की ज़िम्मेदारी (Responsibilities of family members in Hindi)

परिवार के सदस्यों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मरीज़ को इस प्रकार की दिक्कत है इसलिए उसकी भूली हुई बातों पर किसी तरह की टिप्पणी करने से बचें। उनसे भूली हुई बातों पर बहस ना करें और सही तरह से चीज़ों को समझाएं, साथ ही ज़रूरी बातों के लिए डायरी मेंटेन करवाएं।  

डिस्कलेमर – याददाश्त कमज़ोर होने की समस्या, इलाज, बचाव और मरीज़ की देखभाल पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर सुधीर कुमार वर्मा, मेडीसिन स्पेश्लिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।   

Note: This information on Memory Loss, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Sudhir Kumar Verma (Medicine Specialist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.