एंडोमेट्रियोसिस महिलाओं की बच्चेदानी से जुड़ी एक समस्या है जिससे कई तरह की दिक्कतें हो सकती हैं। क्या है ये बीमारी और कैसे हो सकता है इससे बचाव, इन सभी के बारे में ज्यादा जानकारी दे रहीं हैं डॉक्टर मंजू लता वर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ।
- एंडोमेट्रियोसिस के क्या हैं लक्षण?
- एंडोमेट्रियोसिस के कारण
- एंडोमेट्रियोसिस का परीक्षण
- कैसे होता है एंडोमेट्रियोसिस का इलाज?
- एंडोमेट्रियोसिस से बचाव और डॉक्टर की सलाह
सभी महिलाओं की बच्चेदानी के अंदर हर महीने एक सामान्य लाइनिंग या लेयर बनती है जिसे एंडोमेट्रियम कहा जाता है। प्रत्येक माह माहवारी के दौरान ये लाइनिंग अपने आप गिर जाती है। लेकिन कभी कभी कुछ दिक्कतों के कारण जब ये लाइनिंग सही तरह से नहीं गिरती है, तब ये कुछ कणों के तौर पर बच्चेदानी के आसपास के अंगों में इकट्ठा हो जाते हैं जिसे एंडोमेट्रियोसिस कहा जाता है।
एंडोमेट्रियोसिस के क्या हैं लक्षण? (What are the symptoms of Endometriosis in Hindi)
एंडोमेट्रियोसिस के लक्षण प्रत्येक मरीज़ में अलग अलग तरह के हो सकते हैं लेकिन इसके प्रमुख लक्षणों की बात करें, तो पीरियड्स के दौरान बहुत तेज़ दर्द होना इस बीमारी का एक संकेत है। इसके अलावा अगर बीमारी का स्तर गंभीर रूप ले रहा हो, तो माहवारी के बाद भी हर समय पेट में दर्द बना रहता है। पीरियड्स में अनियमितता होना जैसे पीरियड्स समय पर ना आना, पीरियड्स में फ्लो का ज्यादा या कम हो जाना इस रोग की तरफ़ इशारा करते हैं।
एंडोमेट्रियोसिस के कारण (Causes of Endometriosis in Hindi)
एंडोमेट्रियोसिस होने के सटीक कारण का अब तक पता नहीं चल पाया है हालांकि कुछ थ्योरी के मुताबिक ऐसा शरीर में हॉरमोनल बदलाव होने के कारण होता है। माहवारी आने के लिए बच्चेदानी में एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन नाम के हॉरमोन ज़िम्मेदार होते हैं। सब कुछ सामान्य होने पर इन दोनों हॉरमोन्स के प्रभाव में सही तरह से माहवारी आती है। लेकिन इन्हीं हॉरमोन्स में किसी तरह की गड़बड़ी होने पर एंडोमेट्रियम की लाइनिंग नीचे के रास्ते से पीरियड्स के रूप में नहीं गिरती है। नीचे के रास्ते से माहवारी नहीं होने पर लाइनिंग के कण पीछे की तरफ़ अंडेदानी में जाकर इकट्ठा हो जाते हैं जिसे ओवरी एंडोमेट्रियोसिस कहते हैं। इसके अलावा अगर ये कण आंतों में चिपक जाएं तो इसे बॉवल एंडोमेट्रियोसिस कहा जाता है। कुछ मामलों में एंडोमेट्रियोसिस रोग के जेनेटिक कारण भी देखे गए हैं लेकिन आज के समय में खानपान में बदलाव और जीवनशैली को इसका एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। बाहर का जंक फूड, तला-भुना और मसालेदार खाना खाने से कम उम्र की लड़कियों का वज़न बढ़ जाता है और ऐसे में एंडोमेट्रियोसिस होने की संभावना बहुत ज्यादा होती है।
एंडोमेट्रियोसिस का परीक्षण (Tests of Endometriosis in Hindi)
एंडोमेट्रियोसिस के लक्षणों के अनुसार मरीज़ की जांच की जाती है। इसके लक्षणों में पेट दर्द होना, माहवारी में दिकक्त होना, और तो और गर्भ धारण करने में भी मुश्किल आती है। अल्ट्रासाउंड द्वारा एंडोमेट्रियोसिस से संबंधित किसी प्रकार के गांठ (सिस्ट) का पता लगाया जाता है। कुछ मामलों में लैपरोस्कोपिक जांच यानि दूरबीन तकनीक से जांच करके भी एंडोमेट्रियोसिस का पता लगाया जाता है।
कैसे होता है एंडोमेट्रियोसिस का इलाज? (How is Endometriosis treated in Hindi)
एंडोमेट्रियोसिस का इलाज मुख्य रूप से तीन बातों पर निर्भर करता है जिसमें से बीमारी की गंभीरता, मरीज़ की उम्र और उसके बच्चों के बारे में जानकारी ली जाती है। अगर मरीज़ एक कम उम्र की लड़की है तो उसके दर्द को दवाइयों के ज़रिए कम करने की कोशिश की जाती है। दवाइयों के अलावा ऑपरेशन से भी इसका इलाज किया जाता है। क्योंकि ये हॉरमोन की गड़बड़ी से संबंधित बीमारी है इसलिए जिन महिलाओं को गर्भ धारण नहीं करना होता, उनकी माहवारी रोकने के लिए दवाइयां दी जाती हैं जिससे माहवारी उल्टी दिशा में कणों के रूप में जमा नहीं हो पाता है और इससे दर्द में राहत मिलती है। दवाइयों के अलावा माहवारी रोकने के लिए इंजेक्शन का उपयोग भी किया जाता है। ऐसी महिलाएं जिनकी फैमिली पूरी हो चुकी हो और वे आगे गर्भ धारण नहीं करना चाहती हैं, उन्हें बीमारी की गंभीरता देखते हुए ऑपरेशन की सलाह दी जाती है।
एंडोमेट्रियोसिस से बचाव और डॉक्टर की सलाह (Prevention of Endometriosis and doctor’s advice in Hindi)
इस रोग से बचाव के लिए बहुत सारे उपाय मौजूद हैं जिनमें से खानपान और जीवनशैली को सुधारना सबसे अहम बात है। एक बार एंडोमेट्रियोसिस होने पर इसके चक्र को तोड़ना मुश्किल हो सकता है इसलिए कम उम्र की लड़कियां अपने वज़न को बढ़ने से रोकें, व्यायाम करें, बाहर का खाना कम करें, जंक फूड, कोल ड्रिंक्स, चॉकलेट वगैरह से परहेज़ करें क्योंकि ये बीमारी को बढ़ाने में मदद करते हैं। भोजन में संतुलित आहार लें जिसमें हरी सब्जियों और फलों के साथ साथ पानी भरपूर मात्रा में होना चाहिए। एंडोमेट्रियोसिस रोग से घबराने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि हॉरमोन को कंट्रोल करने पर इससे आसानी से बचा जा सकता है।
डिस्कलेमर – एंडोमेट्रियोसिस बीमारी के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर मंजू लता वर्मा, स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Endometriosis , in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Manju Lata Verma (Gynaecologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.