हेपेटाइटिस का नाम सुनते ही लोगों में एक डर बैठ जाता है क्योंकि ये एक ऐसी ख़तरनाक बीमारी है जो जानलेवा साबित भी हो सकती है। हेपेटाइटिस के प्रकार, लक्षण, कारण और इलाज के बारे में विस्तार से बता रहे हैं डॉक्टर अमित प्रकाश श्रीवास्तव, गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट। 

हेपेटाइटिस, वायरस के कारण होने वाला एक रोग है जो चार तरह का होता है जिनमें हेपेटाइटिस A, B, C और E शामिल हैं। इनमें से हेपेटाइटिस A और B दूषित भोजन और गंदा पानी पीने की वजह से होते हैं जबकि संक्रमित ख़ून चढ़ाने या फिर संक्रमित इंजेक्शन लगने के कारण हेपेटाइटिस B और C रोग हो जाता है। इसके अलावा टैटू कराने के दौरान या फिर किसी तरह के ड्रग्स के इस्तेमाल करने के दौरान भी लोग हेपेटाइटिस B और C का शिकार हो जाते हैं।  

symptoms of Hepatitis

हेपेटाइटिस के लक्षण (Symptoms of Hepatitis in Hindi)

हेपेटाइटिस रोग में व्यक्ति की आंखें पीली हो जाती हैं और पेशाब का रंग भी पीला होने लगता है। इसके अलावा भूख नहीं लगती है और पीलिया ज्यादा बढ़ने पर उल्टी भी होती है। इन सभी लक्षणों से हेपेटाइटिस रोग को पहचाना जा सकता है।  

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हेपेटाइटिस का कारण (Causes of Hepatitis in Hindi)

हेपेटाइटिस होने का सबसे मुख्य कारण है आज के समय में बाहर का खाना, पानी और जूस वगैरह का सेवन क्योंकि बाहर के भोजन में इस्तेमाल हुआ पानी अधिकत्तर स्वच्छ नहीं होता। इसके अलावा ब्लड टेस्ट करवाने, इंजेक्शन लगवाने या फिर किसी ऑपरेशन के समय ये ध्यान रखना चाहिए कि इस्तेमाल में लायी जा रही सूई, ख़ून और दूसरे उपकरण नए या फिर स्टेरालाइज्ड हैं या नहीं।  

Hepatitis A B C

हेपेटाइटिस की जटिलताएं (Complications of hepatitis in Hindi)

कुछ लोगों में हेपेटाइटिस एक गंभीर रूप ले लेता है जिसमें बिलूरूबीन की मात्रा बहुत बढ़ जाती है। बिलूरूबीन एक तरह से हेपेटाइटिस की गंभीरता को बताने वाला मात्रक होता है और इसी की मात्रा बढ़ने से शरीर पीले रंग का हो जाता है। बिलूरूबीन की मात्रा का पता लगाने के लिए लीवर फंक्शन टेस्ट कराया जाता है। यदि व्यक्ति के शरीर में बिलूरूबीन की मात्रा 20 से ज्यादा हो जाए, तो ये एक गंभीर स्थिति बन जाती है इसलिए अगर परिवार के किसी सदस्य में इसके लक्षण दिखते हैं तो तुरंत किसी गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट को दिखाना चाहिए ताकि समय रहते इसका इलाज किया जा सके। समय पर इलाज नहीं होने से पीलिया इतना बढ़ जाता है कि ये मरीज़ के दिमाग़ में भी पहुंच जाता है जिससे मरीज़ बेहोश हो सकता है और कोमा में भी जा सकता है। बहुत अधिक गंभीर स्थिति में मरीज़ की जान भी जा सकती है।  

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हेपेटाइटिस का इलाज (Treatment of Hepatitis in Hindi)

इसके इलाज के लिए सबसे पहले हेपेटाइटिस के प्रकार का पता लगाना पड़ता है कि मरीज़ को किस तरह का हेपेटाइटिस है यानि क्या ये रोग दूषित भोजन और पानी के कारण हुआ है या फिर दूषित ख़ून और सिरिंज की वजह से। दूषित भोजन और पानी से होने वाले हेपेटाइटिस A और E का इलाज आसान है क्योंकि इसमें मरीज़ को बाहर का खाना और पानी का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद करने के लिए कहा जाता है। साथ ही मरीज़ में पीलिया कम करने की दवाइयां दी जाती हैं और घर पर आराम करने की सलाह दी जाती है जिससे ज्यादातर मामलों में मरीज़ एक से डेढ़ महीने के अंदर काफ़ी हद तक ठीक होने लगते हैं। लेकिन हेपेटाइटिस B और C के इलाज के लिए काफ़ी ध्यान देना पड़ता है और कई तरह के टेस्ट करवाए जाते हैं क्योंकि ये इंजेक्शन लगवाने, ख़ून चढ़ाने या फिर सर्जरी के दौरान हुए संक्रमण के कारण होता है। इसमें मरीज़ की जांच कर फैलने वाले वायरस का पता लगाया जाता है और उसी अनुसार दवाइयां दी जाती हैं। यदि वायरस को ख़त्म करने के लिए सही समय पर इलाज ना किया जाए तो ये वायरस लीवर को पूरी तरह ख़राब कर देता है। हेपेटाइटिस B और C का इलाज दवाइयों और इंजेक्शन दोनों से किया जाता है। जो लोग इंजेक्शन नहीं लगवाना चाहते, उन्हें दो साल तक दवाइयों का कोर्स पूरा करना होता है जिससे बहुत लाभ मिलता है। हेपेटाइटिस C के लिए आजकल नई दवाइयां उपलब्ध हैं जिसे तीन महीने तक के लिए दिया जाता है और इससे लगभग 90 प्रतिशत मामलों में सफ़लता मिलती हुई देखी जा रही है।  

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हेपेटाइटिस से बचाव (Prevention of Hepatitis in Hindi)

हेपेटाइटिस A और E से बचाव के लिए ध्यान रखें कि बाहर के भोजन के साथ साथ घर में बना खाना और उसमें इस्तेमाल हुआ पानी दूषित ना हो क्योंकि इसकी होने की मुख्य वजह गंदा पानी ही होता है। पीने का पानी हमेशा शुद्ध होना चाहिए इसलिए बाहर जाते समय अपने साथ पानी की बोतल ज़रूर रखें। बाहर के भोजन के साथ साथ फलों के जूस में इस्तेमाल हुआ पानी शुद्ध है या नहीं ये ज़रूर पता लगाएं। घर में पानी पीने के लिए आरओ का इस्तेमाल करें या फिर फिल्टर किया हुआ पानी पिएं। वहीं हेपेटाइटिस B और C से बचाव के लिए सर्जरी के समय, ख़ून चढ़ाने के वक्त और इंजेक्शन लगवाते समय ख़ून, सिरिंज और दूसरे उपकरणों की जांच कर लें कि वे संक्रमण से मुक्त हैं या नहीं। इन सभी बातों का ध्यान रखने पर हेपेटाइटिस जैसी बीमारी को होने से रोका जा सकता है।  

डिस्कलेमर – हेपेटाइटिस बीमारी के प्रकार, इसके लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर अमित प्रकाश श्रीवास्तव, गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।  

Note: This information on Hepatitis, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Amit Prakash Srivastava (Gastroenterologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.