रतौंधी यानि नाइट ब्लाइंडनेस (Night Blindness) एक ख़ास तरह की बीमारी है जिसमें व्यक्ति को दिन ढलने के बाद या कम रौशनी में ठीक से दिखाई नहीं देता। इस बीमारी के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में विस्तार से बता रहे हैं डॉक्टर विशाल कटियार, नेत्र विशेषज्ञ।  

क्या है रतौंधी होने के कारण? (What causes Night Blindness in Hindi) 

इसका मुख्य कारण है शरीर में विटामिन ए की कमी होना। विटामिन ए हमारे शरीर में इकट्ठा होता रहता है और ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ एक या दो दिन में ही इसमें कमी हो जाती है। लेकिन अगर लंबे वक्त तक किसी के भोजन में विटामिन ए की कमी हो, तो ऐसे में शरीर के अंदर जमा विटामिन ए के स्टोर्स ख़त्म होने लगते हैं और यह रतौंधी नाम की बीमारी के तौर पर सामने आती है। ये बीमारी ज्यादातर एक साल से लेकर छह-सात साल तक के बच्चों में दिखाई देती है जिस दौरान बच्चों में डायरिया की समस्या भी होती है। इसके अलावा अगर आर्थिक वजहों से खान-पान में विटामिन ए की कमी हो जैसे अंडा, मांस-मछली, फल और सब्ज़ियां वगैरह, तो भी बच्चों में रतौंधी होने की आशंका बनी रहती है। इसकी एक और वजह ये भी है कि बार बार दस्त होने पर शरीर में खाने के स्टोर्स कम हो जाते हैं जिससे ये बीमारी हो सकती है। एक अन्य कारण की बात करें तो ख़सरा जैसी बीमारी की वजह से भी रतौंधी की समस्या हो सकती है।  

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रतौंधी का ख़तरा किसे ज्यादा होता है? (Who are more vulnerable to Night Blindness in Hindi) 

रतौंधी का ख़तरा सबसे ज्यादा उस उम्र के लोगों को होता है जिन्हें शारीरिक रूप से बढ़ने के लिए खाने पीने की सबसे अधिक आवश्यकता पड़ती है जैसे कि छोटे बच्चे। बच्चों को शारीरिक विकास के लिए सभी तरह के पौष्टिक भोजन मिलना ज़रूरी है। अगर किन्हीं कारणों से उन्हें सही पोषण ना मिले या फिर भोजन और पानी में किसी तरह की गंदगी के कारण उन्हें दस्त होने लगे, तो ऐसे में उन्हें सही पोषण नहीं मिल पाता और शरीर में ख़ासकर विटामिन ए की कमी होने लगती है जिससे आगे जाकर रतौंधी की परेशानी हो सकती है। इसके अलावा जो लोग शराब का सेवन करते हैं या फिर किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं उनमें भी विटामिन ए की कमी पाई जाती है।  

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रतौंधी के लक्षण (Symptoms of Night Blindness in Hindi) 

रतौंधी के मरीज़ों को दिन के समय देखने में किसी भी तरह की परेशानी नहीं होती लेकिन शाम ढलते ही कम रौशनी में उन्हें ठीक से दिखाई नहीं देता। इसके अलावा बच्चों में खासकर आंखों के सफ़ेद हिस्से में सफ़ेद रंग के धब्बे भी दिखाई देते हैं जिससे ये साफ़ पता चल जाता है कि मरीज़ को रतौंधी की बीमारी है।  

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रतौंधी का इलाज (Treatment of Night Blindness in Hindi)

क्योंकि ये बात तय है कि रतौंधी की बीमारी विटामिन ए की कमी से होती है इसलिए इसके उपचार में विटामिन ए के सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं। खाने में अंडा, मांस, मछली और विटामिन ए से भरपूर फल और सब्ज़ियां जैसे गाजर, पालक खाने की सलाह दी जाती है। इसके अलावा विटामिन ए की दवाइयां और इंजेक्शन भी लगाए जाते हैं। रतौंधी के मरीज़ों की आंखों में रूखापन भी होता है और उनमें नमी बनाए रखने के लिए ड्रॉप दिए जाते हैं।  

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रतौंधी से बचाव और डॉक्टर की सलाह (Prevention of Night Blindness and doctor’s advice in Hindi)

रतौंधी से बचाव बहुत ही आसान है क्योंकि ये हमारे भोजन से जुड़ा हुआ है। बच्चों के खाने में विटामिन ए से भरपूर चीज़ें शामिल करें जैसे कि अंडा, मांस, मछली। अगर शाकाहारी लोगों की बात करें तो उन्हें गाजर, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां, संतरा, पपीता, सेब वगैरह अच्छी मात्रा में लेना चाहिए जिससे विटामिन ए की पूर्ति हो सके। बच्चों को डायरिया जैसी बीमारी से बचाएं जिसके लिए उनके पीने का पानी साफ़ होना चाहिए। अगर फिर भी बच्चों को बार बार डायरिया होने लगे तो उन्हें डॉक्टर को दिखाकर विटामिन ए के डोज़ दिलाएं। इसके साथ ही पेट में कीड़े मारने की दवाई भी देनी चाहिए। आंखों के सूखेपन को ठीक करने के लिए ड्रॉप डालें। इन सभी के अलावा आंखों के डॉक्टर को दिखाएं और उनके द्वारा दी गई दवाईयों का ही इस्तेमाल करें, ख़ुद से किसी तरह का उपचार ना करें।  

डिस्कलेमर – रतौंधी की बीमारी, इसके लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर विशाल कटियार, नेत्र विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है। 

This information on Night Blindness, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Vishal Katiyar (Ophthalmologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.