जानिए दस्त होने के कारण, लक्षण, इलाज और बचाव के बारे में डॉक्टर सुधीर कुमार वर्मा, मेडिसिन स्पेश्लिस्ट से। 

शौच के समय मल में द्रव्य या पानी की मात्रा ज्यादा हो जाने पर इसे दस्त कहते हैं। दस्त होने पर मल पतला होने के साथ ही व्यक्ति को बार बार शौच करने की ज़रूरत महसूस होती है। एक सामान्य व्यक्ति को हर रोज़ एक या दो बार शौच हो सकता है लेकिन यदि किसी को एक दिन में कई बार मल त्यागने की ज़रूरत पड़े और साथ ही वह पतला हो तो इसे दस्त कहा जाता है।  

stomachache

क्या हैं दस्त होने के कारण? (What causes Diarrhoea in Hindi)

लगभग 90 प्रतिशत मामलों में दस्त इंफेक्शन के कारण होता है। ये इंफेक्शन कई तरह के जीवाणुओं की वजह से हो सकता है जैसे कि बैक्टीरिया, वायरस, फंगस और पैरासाइट्स। बैक्टीरियल इंफेक्शन में ई-कोलाई और सालमोनेला जैसे जीवाणु सबसे ज्यादा पाए जाते हैं वहीं वायरस के कारण होने वाले इंफेक्शन में रोटावायरस बहुत ही आम है। इसी तरह फंगस और पैरासाइट के भी बहुत तरह के जीवाणु दस्त की समस्या पैदा करते हैं। बात करें बाकी 10 प्रतिशत मामलों की तो ब्लड प्रेशर, पेन किलर और एंटी बायोटिक दवाईयों के सेवन से भी पेट ख़राब हो जाता है। दवाओं के अलावा कुछ हॉरमोन्स से जुड़े कारण, माल एबसोर्पशन सिंड्रोम और अल्सरेटिव कोलाइटिस की वजह से भी दस्त होता है। बच्चों में भी दस्त होने के यही सारे कारण होते हैं लेकिन इनमें से सबसे ज्यादा संख्या में रोटावायरस के कारण पेट ख़राब हो जाता है।  

constipation

दस्त के लक्षण और जटिलताएं (Symptoms and complications of Diarrhoea in Hindi)

दस्त होने पर मरीज़ को कई बार मल त्यागने की आवश्यकता पड़ती है जो पतला होता है। इसके अलावा पेट में दर्द और मरोड़ महसूस होती है और मरीज़ को उल्टियां भी हो सकती हैं। बार बार शौच होने से शरीर में पानी की कमी हो जाती जिससे मरीज़ कमज़ोरी महसूस करता है। दस्त होने पर मरीज़ डीहाइड्रेशन का शिकार हो जाता है और अगर ये स्थिति लंबे वक्त तक बनी रहे तो किडनी पर भी इसका असर पड़ने लगता है जिसे एक्यूट रेनल फेल्योर कहा जाता है। एक्यूट रेनल फेल्योर होने पर मरीज़ को ठीक तरह से पेशाब नहीं होता और इसके कारण शरीर में मौजूद ज़हरीले पदार्थ पूरी तरह से बाहर नहीं आ पाते जिससे दूसरे अंगों पर भी बुरा असर पड़ने लगता है। 

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कैसे करें दस्त से बचाव? (How to prevent Diarrhoea in Hindi)

क्योंकि 90 प्रतिशत मामलों में दस्त इंफेक्शन की वजह से ही फैलता है इसलिए खाना खाने से पहले और शौच के बाद हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए। किसी भी तरह का संक्रमण तब फैलता है जब हम गंदे हाथों से खाना खाते हैं या फिर दूषित भोजन और पानी पीते हैं। इसलिए ये बहुत ज़रूरी है कि इस्तेमाल की जाने वाली चीज़े अच्छी तरह से धुली और साफ़ हों। फल, सब्ज़ियों और अनाज को अच्छी तरह धोकर ही उपयोग में लाएं। इसके साथ ही भोजन को अच्छी तरह से पकाएं जिससे कि उसमें मौजूद जीवाणु पूरी तरह से नष्ट हो जाएं। बाहर खुले में बिक रही खाने पीने की चीज़ों से दूर रहें क्योंकि इनकी शुद्धता की गारंटी नहीं होती और इनमें कई तरह के जीवाणु हो सकते हैं।  

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कैसे होता है दस्त का इलाज? (How is Diarrhoea treated in Hindi) 

दस्त होने पर मरीज़ के शरीर में पानी की भारी कमी हो जाती है इसलिए ऐसे में उन्हें दोबारा रिहाइड्रेट करने की ज़रूरत होती है। दस्त होने पर मरीज़ को ओआरएस का घोल दिया जाता है जिसमें संतुलित मात्रा में मौजूद पोटशियम, सोडियम, शुगर वगैरह शरीर में पानी की कमी को पूरा करते हैं। लेकिन अगर मरीज़ खाने पीने की स्थिति में नहीं होता, तो उन्हें आईवी लाइन के ज़रिए रिहाइड्रेट किया जाता है। अगर मरीज़ को दस्त के साथ बुखार, पेट में दर्द और उल्टी हो रही हो तो ऐसे में उन्हें एंटी बायोटिक थेरेपी भी दी जाती है। दस्त के दौरान यदि मरीज़ को मल में ख़ून भी आ रहा हो तो उसका भी इलाज किया जाता है।  

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दस्त रोकने के घरेलू उपचार (Home remedies for Diarrhoea in Hindi)  

दस्त होने पर मरीज़ को हर शौच के बाद एक ओआरएस का घोल दिया जाना चाहिए। अगर ओआरएस का घोल मौजूद ना हो तो एक गिलास पानी में चुटकी भर नमक और थोड़ी चीनी मिला कर मरीज़ को देते रहना चाहिए। इसके अलावा मरीज़ को पतला और आसानी से पचने वाला भोजन दिया जाना चाहिए जैसे कि दलिया, खिचड़ी, केला, फलों का रस वगैरह। कई लोग दस्त रोकने के लिए मेथी के दानों का सेवन करते हैं जो कि एक तरह का घरेलू उपचार है। मेथी के दानों में फाइबर होता है जो दस्त रोकने में मदद करता है लेकिन सिर्फ़ मेथी के दानों का सेवन करने से ही दस्त नहीं रुकते इसलिए डॉक्टर से उचित इलाज कराएं।  

डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi) 

दस्त से बचाव के लिए स्वस्थ आदतें अपनाएं। अपने हाथों को बार बार धोएं, खाने से पहले और शौच के बाद अच्छी तरह से हाथों को साफ़ करें। इसके अलावा बाहर से लौटने पर सही तरीक़े से हाथ और मुंह को धोएं। फल और सब्ज़ियों को अच्छी तरह धोकर खाएं। इसके साथ ही भोजन को पूरी तरह पका कर ही खाएं और बाहर मिलने वाली खाने की चीज़ों से परहेज़ करें।  

डिस्क्लेमर – दस्त (लूज़ मोशन) के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर सुधीर कुमार वर्मा, मेडीसिन स्पेश्लिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।    

Note: This information on Diarrhoea, in Hindi, is based on an extensive interview with  Dr Sudhir Kumar Verma (Medician Specialist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.