दिल की धमनियों में किसी कारण से रूकावट होने पर हार्ट में ब्लॉकेज हो जाता है जिससे ख़ून की आवाजाही कम हो जाती है। कितना गंभीर है दिल में किसी प्रकार की रूकावट होना, क्या हैं इसके कारण, लक्षण और इलाज, जानते हैं डॉक्टर यूसुफ़ अंसारी, कार्डियोलॉजिस्ट से।
- क्या हैं हार्ट ब्लॉकेज होने के कारण?
- हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण
- डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?
- हार्ट ब्लॉकेज का परीक्षण
- हार्ट ब्लॉकेज का इलाज
- हार्ट ब्लाकेज से बचने के उपाय
- क्या खाएं, क्या ना खाएं?
- डॉक्टर की सलाह
दिल की धमनियों में जब कॉलेस्ट्रॉल और कैल्शियम अधिक मात्रा में जम जाते हैं तो ख़ून की आवाजाही 70 से 80 प्रतिशत तक कम हो जाती है जिससे मरीज़ को सीने में तेज़ दर्द होता है और हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या हो जाती है। ये बीमारी अधिकतर हाइपरटेंशन और कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ (Coronary Artery Disease) के मरीज़ों में देखने को मिलती है।
क्या हैं हार्ट ब्लॉकेज होने के कारण? (What causes heart blockage in Hindi)
अनियंत्रित शुगर लेवल, हाइपरटेंशन और कोरोनरी आर्टीरी डिज़ीज़ के मरीज़ों की धमनियों में कॉलेस्ट्रॉल और कैल्शियम के जमा होने से यह बीमारी होती है। ऐसा होने के पीछे वजह है हमारी आज की जीवनशैली और खान पान। ज़रूरत से ज्यादा भोजन करना, जंक फूड, बाहर का खाना, तेल, मसाले का अधिक इस्तेमाल करना, मांस का अधिक सेवन, धूम्रपान करना, शराब का सेवन और व्यायाम ना करना हार्ट में ब्लॉकेज की समस्या को जन्म देते हैं।
हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण (Symptoms of heart blockage in Hindi)
धमनियों में कॉलेस्ट्रॉल और कैल्शियम के जमा होने पर धमनियां संकरी हो जाती हैं और रक्त का फ्लो कम होता है जिसके कारण सीने में तेज़ दर्द होता है। समय के साथ ये दर्द और भी बढ़ता जाता है। धीरे धीरे, ये दर्द बाईं तरफ़ के जबड़े, हाथ और पीठ की तरफ़ चला जाता है और अगर इसका उचित समय पर इलाज नहीं कराया जाए तो ये हार्ट अटैक में भी बदल सकता है।
डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए? (When to seek doctor in Hindi)
अगर किसी व्यक्ति को हाइपरटेंशऩ, डायबिटीज़ या फिर दिल से संबंधित कोई दूसरी बीमारी है तो डॉक्टर के पास जाकर अपने ख़ून की सभी तरह की जांच करानी चाहिए। इसके अलावा ईसीजी कराएं, कालेस्ट्रॉल और शुगर की भी जांच कराएं। साथ ही अपना बॉडी मास इंडेक्स भी देखें और अगर ये 24-25 से ज्यादा है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर उसपर अमल करें।
हार्ट ब्लॉकेज का परीक्षण (Tests of heart blockage in Hindi)
हार्ट में ब्लॉकेज का पता लगाने के लिए सबसे पहले ईसीजी किया जाता है। अगर हार्ट में किसी प्रकार का ब्लॉकेज है, तो ईसीजी में बदलाव पाया जाता है। इसके बाद मरीज़ के कालेस्ट्रॉल और शुगर लेवल की जांच की जाती है। साथ ही मरीज़ का ट्रेड मिल टेस्ट किया जाता है जिसमें व्यक्ति को करीब 10-12 मिनट तक ट्रेड मिल पर दौड़ा कर ईसीजी निकाला जाता है। इसके अलावा सीटी एंजियोग्राम करके कैल्शियम के डिपोज़िशन का पता किया जाता है। एक और तरह के टेस्ट में धमनियों में आयोडीन डाइ को डालकर ब्लॉकेज का पता लगाया जाता है। इसके अलावा दिल की कौन सी मांसपेशी कितना धड़क रही है, उसे भी चेक किया जाता है।
हार्ट ब्लॉकेज का इलाज (Treatment of heart blockage in Hindi)
सबसे पहले मरीज़ के एंटी लिपिड का इलाज किया जाता है। इससे तुरंत राहत पाने के लिए कुछ दवाइयां डॉक्टर द्वारा आमतौर पर दी जाती हैं और ये बाज़ार में आसानी से उपलब्ध भी होती हैं। जो मरीज़ तुरंत डॉक्टर के पास या अस्पताल नहीं पहुंच पाते, उन्हें इन दवाइयों को लेने की सलाह दी जाती है जिससे मरीज़ को फ़ौरन कुछ देर के लिए आराम हो जाता है। इन दवाइयों में एस्पिरिन, क्लोपीटोग्रिल और सोर्बिट्रेट वगैरह शामिल हैं और इन्हें लेने की मात्रा तय होती है। यदि मरीज़ फौरन एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी कराने की स्थिति में ना हो, तो डॉक्टर से ख़ून को पतला करने के लिए इंजेक्शन ले सकते हैं। मरीज़ को हार्ट अटैक होने के दो घंटे के भीतर अगर अस्पताल पहुंचा दिया जाए, तो एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी करके इलाज जल्द शुरू हो जाता है। जिन मरीज़ों की एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी नहीं हो पाती, उन्हें दवाइयों के इंजेक्शन दिए जाते हैं।
हार्ट ब्लाकेज से बचने के उपाय (Prevention of heart blockage in Hindi)
अगर मरीज़ को पहले से डायबिटीज़, हाइपरटेंशन और दिल से जुड़ी बीमारी है तो उसका उचित इलाज कराएं और दवाइयां लेते रहें। इससे बचने के लिए सभी को अपना खान-पान ठीक रखना चाहिए, जंक फूड से परहेज़ करें, धूम्रपान ना करें और व्यायाम का सहारा लें। मरीज़ को हार्ट अटैक होने पर उसके आसपास के लोगों को कुछ ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है जिससे मरीज़ की जान बचायी जा सके। मरीज़ के परिवार वाले या आसपास के लोगों को सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) के बारे में जानकारी होनी चाहिए जिसमें मरीज़ के दिल को पंप करके और मुंह से सांस देकर दोबारा धड़कन शुरू की जा सके। इसके अलावा दिल के मरीज़ हमेशा अपने साथ कुछ दवाइयां जैसे एस्पीरिन, क्लोपीटोग्रिल और सोर्बिट्रेट बताई गई मात्रा में रखें और ज़रूरत पड़ने पर इसे लेने के बाद तुरंत अस्पताल पहुंचे।
क्या खाएं, क्या ना खाएं? (What to eat, what not in Hindi)
दिल की बीमारी से ग्रसित मरीज़ों को अपने खान-पान का ख़ास ख़्याल रखना चाहिए। उन्हें तेल, मसाले, घी, मांस और मीठा खाने से परहेज़ करना चाहिए। खाने में फल और सब्ज़ियों के साथ ही फाइबर का उपयोग अधिक करना चाहिए। जानवरों से मिलने वाले प्रोटीन को लेने की बजाए वनस्पति से मिलने वाले प्रोटीन का सेवन करना चाहिए।
डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)
ऐसे लोग जिन्हें डायबिटीज़, हाइपरटेंशन और दूसरी बीमारियां हैं, जिनके रक्त में कॉलेस्ट्रॉल की मात्रा अधिक है या जो लोग धूम्रपान करते हैं, वो अपना इलाज कराएं और नियमित रूप से दवाइयां लेते रहें। जिन लोगों में ये जेनेटिक कारणों से हो रहा हो, वो पहले से ही अपना ध्यान रखना शुरू करें। इसके अलावा हार्ट के मरीज़ों को योगा और विशेष प्रकार के व्यायाम करने की सलाह दी जाती है और किसी भी इमरजेंसी में दवाइयों को अपने साथ रखें।
डिस्कलेमर – हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर यूसुफ़ अंसारी, कार्डियोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Heart Blockage, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Yusuf Ansari (Cardiologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.