क्या आप माइग्रेन के दर्द से जूझ रहे हैं और कई तरह के इलाज के बाद भी आपको दर्द से नहीं मिल रहा छुटकारा, तो जानिए माइग्रेन के लक्षण, कारण और इसके इलाज के बारे में डॉक्टर अतुल कुमार रॉय, न्यूरोलॉजस्ट से।
- माइग्रेन के प्रकार
- माइग्रेन के लक्षण
- माइग्रेन के कारण
- माइग्रेन का इलाज
- माइग्रेन के जोखिम
- माइग्रेन से बचाव
सिर दर्द कई तरह के होते हैं जिनमें से एक है माइग्रेन। सिर दर्द के मरीज़ों में अमूमन 6 प्रतिशत पुरषों और 15 प्रतिशत महिलाओं में माइग्रेन देखा जाता है। माइग्रेन का अटैक ज्यादातर युवाओं में देखा जाता है जिसकी वजह से उनका अपनी पढ़ाई या कैरियर वगैरह को लेकर बहुत ज्यादा दबाव होना। माइग्रेन की वजह से एक व्यक्ति की रोज़मर्रा की ज़िंदगी काफ़ी प्रभावित होती है इसलिए इसकी जांच और इलाज बहुत ज़रूरी है।
माइग्रेन के प्रकार (Types of migraine in Hindi)
माइग्रेन का दर्द दो तरह का होता है जिसे कॉमन माइग्रेन और क्लासिक माइग्रेन के नाम से जाना जाता है। कॉमन माइग्रेन के मरीज़ ज्यादा देखे जाते हैं जिन्हें सिर दर्द के साथ ही उल्टी या मतली की शिकायत होती है। इसके अलावा उन्हें कान में आवाज़ और आंखों में रौशनी लगती है साथ ही चलने फिरने से उनका दर्द और भी ज्यादा बढ़ जाता है। वहीं क्लासिक माइग्रेन में दर्द शुरू होने से पहले मरीज़ में कुछ ख़ास लक्षण दिखाई देते हैं जैसे कि आंखों के सामने रौशनी दिखना, कानों में आवाज़ें आना, कुछ अजीब किस्म की खुशबू आना वगैरह। इन सभी लक्षणों को औरा (Aura) कहा जाता है। इस तरह के औरा होने के बाद ही मरीज़ को माइग्रेन का अटैक आता है। इसके अलावा एक कम पाए जाने वाला माइग्रेन का प्रकार है जिसे कॉमप्लीकेटेड माइग्रेन कहा जाता है। इस तरह के माइग्रेन में मरीज़ बेहोश हो सकता है और उसे पैरालीसिस का अटैक भी आ सकता है।
माइग्रेन के लक्षण (Symptoms of migraine in Hindi)
माइग्रेन का अटैक एक हिस्से से शुरू होकर धीरे धीरे पूरे सिर में फैल जाता है। इसमें जो दर्द होता है वो एक टीस की तरह होता है यानि सूई की चुभन की तरह। सिर दर्द के साथ ही मरीज़ को गर्दन और पेट में भी दर्द हो सकता है, चक्कर आते हैं, उल्टी होती है, आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। ये दर्द कुछ मिनट से लेकर दो-तीन दिनों तक रह सकता है। ज्यादातर माइग्रेन कुछ घंटों के बाद या दवाई लेने पर धीरे धीरे कम हो जाता है।
माइग्रेन के कारण (Reasons of migraine in Hindi)
माइग्रेन होने का कराण अपने आप में बहुत ज्यादा जटिल है लेकिन आम भाषा में इसे समझा जाए तो हमारे दिमाग़ में कुछ हिस्से होते हैं जो वहां मौजूद हॉरमोन्स को बहुत सेंसेटिव बना देते हैं। इन्हें न्यूरोट्रांसमीटर कहा जाता है। जब इन न्यूरोट्रांसमीटर के काम करने के तरीके में किसी तरह की गड़बड़ी होती है तब वह माइग्रेन के अटैक के रूप में सामने आता है।
माइग्रेन का इलाज (Treatment of migraine in Hindi)
माइग्रेन का इलाज किसी एक तरह से नहीं होता बल्कि इसमें दवाईयों के साथ साथ जीवनशैली, खान-पान और नींद का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है। माइग्रेन से राहत पाने के लिए कम से कम सात या आठ घंटे की नींद लेना बेहद ज़रूरी है क्योंकि कम या ज्यादा नींद की वजह से भी माइग्रेन का दर्द हो जाता है। साथ ही हफ़्ते में छह दिन नियमित तौर पर कम से कम बीस मिनट के लिए व्यायाम ज़रूर करें। तनाव भी माइग्रेन को बढ़ाने का एक बड़ा कारण है इसलिए तनाव को कम करें या फिर सही से व्यवस्थित करें। दवाओं से इलाज की बात करें तो इसके लिए दो तरह के ट्रीटमेंट किए जाते हैं। माइग्रेन के अटैक के समय दर्द कम करने के लिए जो दवाई दी जाती है जिसे एबोर्टिव ट्रीटमेंट (Abortive Treatment) कहा जाता है। इसमें टैबलेट, इंजेक्शन या फिर स्प्रे का इस्तेमाल करके दवाई दी जाती है जो इस बात पर निर्भर करता है कि मरीज़ की स्थिति कैसी है। दूसरे तरह के ट्रीटमेंट को प्रोफ्लैक्सिस (Prophylaxis) कहा जाता है। अगर मरीज़ को माइग्रेन का अटैक जल्दी जल्दी होने लगे तो ऐसे में उन्हें नियमित तौर पर खाई जाने वाली दवाई दी जाती है। ये दवाई उन्हें कम से कम छह महीने तक लगातार खानी होती है चाहे दर्द हो या ना हो। छह महीने तक दवाई के इस्तेमाल के बाद डॉक्टर ये पता लगाते हैं कि क्या मरीज़ बिना दवाईयों के सिर्फ़ अपनी जीवनशैली में बदलाव करके माइग्रेन को नियंत्रित कर सकता है या नहीं।
माइग्रेन के जोखिम (Risks of migraine in Hindi)
माइग्रेन का सबसे बड़ा जोखिम ये है कि इसकी वजह से मरीज़ के काम काज पर असर पड़ता है। माइग्रेन का दर्द इतना तेज़ होता है कि व्यक्ति अपना काम पूरा नहीं कर पाता। इसके अलावा कॉमप्लीकेटेड माइग्रेन के मरीज़ बेहोश हो जाते हैं या फिर उन्हें पैरालीसिस का अटैक भी हो सकता है।
माइग्रेन से बचाव (Prevention of migraine in Hindi)
माइग्रेन से बचने के लिए एक संतुलित जीवनशैली को अपनाना बहुत ही ज़रूरी है इसलिए रात को जल्दी सोएं और सुबह जल्दी उठें। कम से कम सात से आठ घंटे की नींद ज़रूर पूरी करें और रात में देर तक ना जगें। नियमित रूप से कसरत करें और खाने में हरी सब्ज़ियां और मौसमी फलों का सेवन करें। पैकेज्ड फूड का बिल्कुल भी इस्तेमाल ना करें क्योंकि ये माइग्रेन को बढ़ाता है।
डिस्कलेमर – माइग्रेन, इसके लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर अतुल कुमार रॉय, न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Migraine, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Atul Kumar Roy (Neurologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.