बांझपन का मतलब है किसी कारणवश महिला का गर्भ धारण नहीं कर पाना। आमतौर पर हमारे समाज में बांझपन को महिलाओं से ही जोड़कर देखा जाता है जबकि ये सही नहीं है क्योंकि गर्भ धारण करने के लिए महिला और पुरूष दोनों ही ज़िम्मेदार होते हैं। बांझपन के कारण और इसके इलाज के बारे में बता रही हैं डॉक्टर मालविका मिश्रा, स्त्री रोग विशेषज्ञ।  

बांझपन को समझने के लिए पहले इसकी परिभाषा जानना बहुत ज़रूरी है। पति और पत्नी का ऐसा जोड़ा जो कम से कम एक साल से साथ रह रह हो और संबंध बनाने के दौरान किसी भी तरह के समाधान का इस्तेमाल ना कर रहा हो जिससे गर्भ धारण ना हो, बावजूद इसके प्रेगनेंसी ना ठहरे, तो इसे बांझपन कहा जाता है। इनफर्टिलिटी के बहुत सारे कारण होते हैं जिसे जानने के लिए महिला और पुरूष, दोनों की जांच करना आवश्यक है। ये समझना ज़रूरी है कि गर्भ धारण ना कर पाना, महिला और पुरूष दोनों से ही जुड़ा है और इनमें से किसी एक को या फिर दोनों में दिकक्त हो सकती है।  

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पुरूषों में इनफर्टिलिटी का कारण (Causes of infertility in men in Hindi)

पुरूषों में बांझपन के कई कारण हो सकते हैं जैसे कि इंफेक्शन हो जाना, इन्फ्लामेशन होना और ब्लॉकेज होना वगैरह। ब्लॉकेज होने की वजह से शुक्राणु (Sperm) बाहर नहीं आ पाते, अगर शुक्राणु बाहर आते भी हैं तो उनकी संरचना सामान्य नहीं होती, इसके अलावा कभी कभी शुक्राणु में गर्भ धारण कराने की क्षमता नहीं होती। इनमें से कई सारी दिक्कतों का इलाज किया जा सकता है।  

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महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण (Causes of infertility in women in Hindi)

महिलाओं में भी बांझपन के ढेर सारे कारण हो सकते हैं जैसे कि एंडोमेट्रियोसिस, फायब्रॉएड, पेल्विक इंफ्लामेट्री डीज़ीज़, टीबी इत्यादि। इनके अलावा कई तरह के इंफेक्शन भी बांझपन की वजह हैं। अगर शरीर के अंगों की बात की जाए तो अंडाशय (Ovary) में उम्र ढलने के कारण अंडों का ख़त्म हो जाना, अंडों की क्वॉलिटी ख़राब हो जाना, फेलोपियन ट्यूब का बंद हो जाना, सर्विक्स का बंद हो जाना, गर्भाशय की बनावट में ख़राबी, गर्भाशय में इंफेक्शन आदि महिलाओं में इनफर्टिलिटी की वजह हैं। इन सभी में से अंडाशय से अंडों का हर महीने ना निकलना सबसे मुख्य कारण है। ऐसी कोई भी बात जिससे अंडे सही से ना निकलें जैसे कि अत्याधिक दवाइयों का सेवन, बहुत ज्यादा व्यायाम और तनाव अंडे को बाहर नहीं निकलने देते। हॉरमोन्स में बदलाव और मोटापा भी महिलाओं में बांझपन की दिकक्त को पैदा करते हैं।  

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बांझपन का इलाज (Treatment of infertility in Hindi)

इसके इलाज के लिए महिला और पुरूष दोनों की ही कई तरह से जांच कर कारण का पता लगाया जाता है। महिलाओं में अल्ट्रसाउंड और दूरबीन जांच के ज़रिए सभी चीज़े चेक की जाती हैं वहीं पुरूषों के लिए उनके शुक्राणु की जांच की जाती है। महिलाओं में एंडोमेट्रियम होने पर सर्जरी की आवश्यकता होती है, वहीं फायब्रॉएड होने पर उसे भी निकाला जा सकता है। वज़न कम करने पर और थायरॉइड की दवा लेने पर गर्भ धारण करने की संभावना बढ़ जाती है यानि कारण का पता लगने पर उसके अनुसार इलाज किया जाता है। इसके साथ ही पति-पत्नी को महीने के किन दिनों में संबंध बनाना चाहिए, इसके बारे में भी काउंसिलिंग की जाती है। माहवारी के बाद बारहवें से अट्ठाहरवें दिन में संबंध बनाने पर गर्भ धारण करने की संभावना बढ़ जाती है। इसके अलावा अंडाशय को प्रभावी बनाने और अंडे बाहर आने के लिए भी दवाइयां दी जाती हैं। समस्या गंभीर होने पर जैसे कि गर्भाशय की संरचना में गड़बड़ी या फिर ट्यूब बंद होना वगैरह के लिए सर्जरी ही इकलौता समाधान है। अगर पुरूष के शुक्राणु कम निकल रहे हों या फिर उनकी क्वॉलिटी ख़राब हो तो ऐसे में उन्हें स्पर्म इक्ट्ठा करने के लिए कहा जाता है और इसे प्रोसेस करके महिला के अंदर डाला जाता है जिसे आईयूआई (Intrauterine insemination) विधि कहा जाता है। इसके अलावा कुछ मामलों में आईवीएफ (In vitro fertilization) भी किया जाता है। यदि महिला के अंडे ठीक हों लेकिन उसका गर्भाशय पूरी तरह ख़राब हो चुका हो तो ऐसे में अंडों को बाहर निकालकर फर्टिलाइज़ किया जाता है और किसी दूसरी महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है जिसे सरोगेसी कहते हैं।   

doctor advice for couple disease

डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)

आज के समय एडवांस तकनीक और दवाइयों द्वारा आसानी से इनफर्टिलिटी जैसी समस्या का निदान किया जा सकता है चाहे वो महिला से जुड़ा हो या पुरूष से। ज़रूरत इस बात की है कि दंपत्ति अपनी झिझक को छोड़कर खुलकर डॉक्टर को अपनी समस्या बताएं और इलाज कराएं।  

डिस्कलेमर – इनफर्टिलिटी (बांझपन) के कारण और इलाज पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर मालविका मिश्रा, स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है। 

Note: This information on Infertility, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Malvika Mishra (Obstetrician/Gynecologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.