कैसे होता है कानों में संक्रमण और कैसे करें इससे बचाव, जानिए डॉक्टर मनोज मिश्रा, ईएनटी स्पेश्लिस्ट से।
- संक्रमण का कारण और जटिलताएं
- छोटे बच्चों में संक्रमण का कारण
- क्या हैं इसके लक्षण?
- क्या है इसका इलाज?
- डॉक्टर की सलाह
कानों का संक्रमण तब कहा जाता है जब उनसे पस या मवाद निकलने लगे। इसे कान बहना भी कहते हैं। कान बहने के साथ ही संक्रमण में तेज़ दर्द और बुखार भी होता है।कान के संक्रमण को दो तरह से बांटा जा सकता है जिसमें एक है एक्यूट ओटाइटिस मीडिया और दूसरा है क्रोनिक ओटाइटिस मीडिया। इसे एक्यूट ओटाइटिस मीडिया तब कहा जाता है जब कान किसी दूसरी परेशानी की वजह से बहने लगे। इसमें कान हमेशा नहीं बल्कि कभी कभी किसी कारण से बहता है जैसे कि ज़ुकाम की वजह से कान का बहना। वहीं जब कान लगभग 45 दिनों से ज्यादा वक्त तक बार बार बहे, तो इसे क्रोनिक ओटाइटिस मीडिया कहते हैं। लगातार बहने के अलावा इसमें कानों से बदबू भी आती। साथ ही ठीक से सुनने में भी दिक्कत होने लगती है। क्रोनिक ओटाइटिस होने पर पर्दों पर प्रभाव तो पड़ता ही है साथ ही हड्डियां भी गलने लगती हैं जिससे दिमाग, सुनने की क्षमता और शरीर का संतुलन प्रभावित होता है।
संक्रमण का कारण और जटिलताएं (Causes of infection and its complexities)
एक्यूट ओटाइटिस मीडिया की बात करें तो इसमें गले के इंफेक्शन या ज़ुकाम की वजह से कानों में भी संक्रमण हो जाता है। हमारे कान के तीन भाग होते हैं जिसमें बीच वाला हिस्सा जिसे मिडिल इयर कहते हैं, हमारे गले से जुड़ा होता है। इसलिए अगर गले या नाक में किसी तरह का इंफेक्शन है तो वो इंफेक्शन हमारे मिडिल इयर में भी हो जाता है। कान के संक्रमण को अगर वक्त पर ठीक नहीं कराया जाए, तो हमारे शरीर का संतुलन बिगड़ सकता है, मेनिनजाइटिस यानि दिमाग़ी बुखार हो सकता है, चेहरे की बनावट बिगड़ सकती है और सुनने की क्षमता पूरी तरह से ख़त्म हो सकती है क्योंकि कान की संरचना हमारे चेहरे, दिमाग और शरीर से जुड़ी हुई है।
छोटे बच्चों में संक्रमण का कारण (Causes of infection in children)
नवजात बच्चों में अक्सर कान बहने की शिकायत होती है। ऐसा तब होता है जब बच्चों को लेटा कर दूध पिलाया जाता है। लेटा कर दूध पिलाने से दूध गले से कानों में भी चला जाता है क्योंकि हमारे कान और गले को जोड़ने वाली ट्यूब साथ साथ होती है। कानों में दूध जाने से वहां इंफेक्शन हो जाता है इसलिए छोटे बच्चों को हमेशा थोड़ा उपर उठाकर दूध पिलाना चाहिए। उन्हें कम से कम 45 डिग्री के एंगल में उठाकर दूध पिलाना चाहिए। इसके अलावा सभी बच्चों में इंफेक्शन का एक और कारण है टॉनसिल्स और एडेनोइड। टॉनसिल्स हमारे मुंह के आख़िरी छोर पर होता है जबकि एडेनोइड हमारे नाक के ठीक पीछे। ये दोनों ऐसे अंदरूनी अंग है जो किसी भी तरह के इंफेक्शन को दूर रखते हैं। लेकिन क्योंकि बच्चों का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होता है इसलिए टॉन्सिल्स और एडेनोइड में बार बार इंफेक्शन हो जाता है जिसकी वजह से कानों में भी संक्रमण हो जाता है।
क्या हैं इसके लक्षण? (What are its symptoms?)
कान के संक्रमण का सबसे बड़ा लक्षण है कान बहना। एक्यूट ओटाइटिस मीडिया में पहले कान भारी लगने लगते हैं क्योंकि पस कान के पर्दे के पीछे इकट्ठा होना शुरू हो जाता है। इसके कुछ दिनों बाद कान बहने लगता है और दर्द होता है। कभी कभी मरीज़ को बुखार भी आ जाता है। लेकिन अगर कान का बहना लगातार काफ़ी दिनों तक हो और ना तो मरीज़ को कानों में दर्द हो और ना ही बुखार, तो इसे क्रोनिक ओटाइटिस कहा जाता है। क्रोनिक ओटाइटिस में पस निकलने के साथ ही बदबू आती है।
क्या है इसका इलाज? (What is its treatment?)
इलाज के लिए सबसे पहले सीटी स्कैन के ज़रिए बीमारी की वजह का पता लगाया जाता है। कारण के पता चलने पर दो तरह से इलाज किया जाता है। अगर मरीज़ को एक्यूट ओटाइटिस हो यानि कान बहने के साथ ही बुखार, सूजन, दर्द वगैरह हो, तो डॉक्टर बुखार, सूजन और दर्द कम करने के साथ ज़ुकाम की दवाईयां देते हैं। लेकिन अगर कान का संक्रमण बहुत पुराना हो और रुक रुक कर बहता रहता हो, तो ऐसे में डॉक्टर इंफेक्शन को कम करके सर्जरी के ज़रिए इसका इलाज करते हैं।
डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice)
कान की कई बीमारियों की वजह है नाक क्योंकि हमारे कान, नाक और गला आपस में जुड़े हुए हैं। इसलिए जब किसी को साइनोसाइटिस होता है, तो उसे कान में भी समस्या हो सकती है। अगर किसी को लगातार ज़ुकाम हो, नाक बंद रहे या साइनस की परेशानी हो तो इन सभी से कानों पर असर पड़ता है। इसलिए कान, नाक और गले की सभी तरह की समस्याओं को एक साथ देखने की ज़रुरत है। कानों के इलाज के लिए कई लोग घरेलू उपचार करते हैं लेकिन ऐसा करना बहुत ही नुकसानदेह हो सकता है। कानों का संक्रमण सामान्य होने पर दवाईयों से इलाज किया जाता है जबकि क्रोनिक होने की स्थिति में सिर्फ सर्जरी द्वारा ही इलाज संभव है।
डिस्क्लेमर – कान के संक्रमण की बीमारी, इसके लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर मनोज मिश्रा, ईएनटी स्पेश्लिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Ear Infection, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Manoj Mishra (ENT Specialist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.