कोविड के मामले अब धीरे धीरे कम होते नज़र आ रहे हैं लेकिन फिर भी लोगों को बहुत ही एहतियात बरतने की ज़रूरत है। क्या है देश में कोरोना महामारी की वर्तमान स्थिति और तीसरी लहर के लिए कैसे रहें तैयार, आइए जानते हैं डॉ राजीव गुप्ता।  

क्या है कोरोना महामारी की वर्तमान स्थिति? (Current status of COVID-19 pandemic in Hindi)

कोरोना महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप अब पहले से कम होता दिख रहा है क्योंकि अस्पतालों में अब कोविड के केस काफ़ी कम नज़र आ रहे हैं। डॉक्टरों की माने तो कोरोना की दूसरी लहर का पीक समय अब ख़त्म हो चुका है और इसलिए पंद्रह मई के बाद से इसके केस में गिरावट आयी है।  

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ठीक होने के बाद मरीज़ों को ब्लैक फंगस का ख़तरा (Risk of Black Fungus after recovering from COVID in Hindi) 

ब्लैक फंगस हमारे वातावरण में हमेशा मौजूद होता है और बारिश के मौसम में ये और भी ज्यादा हो जाते हैं लेकिन एक सामान्य व्यक्ति की इम्यूनिटी इतनी अच्छी होती है कि ये नुकसान नहीं पहुंचा पाता। कोविड की वजह से मरीज़ की इम्यूनिटी कमज़ोर हो जाती है और इसलिए इस फंगस को मरीज़ पर अटैक करने का मौक़ा मिल जाता है। इसके अलावा, स्टीरॉइड और ह्यूमिडीफाइड ऑक्सीजन के इस्तेमाल से भी संक्रमण की बात कही जा रही है। हालांकि, ब्लैक फंगस के संक्रमण का मुख्य कारण कमज़ोर होती इम्यूनिटी ही है।   

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क्या हैं ब्लैक फंगस के लक्षण? (Symptoms of Black Fungus in Hindi)

शुरूआत में नाक से ख़ून आना, नाक के आसपास कालपान आना, चेहरे की सूजन, आंखें निकल आना और ठीक से दिखायी ना देना इसके ख़ास लक्षण हैं।  

स्टीरॉइड से होने वाली जटिलताएं (Steroids and COVID risk in Hindi)

स्टीरॉइड कोविड के इलाज के लिए अब तक की सबसे कारगर दवा मानी जा रही है और इसके इस्तेमाल के परिणाम भी अच्छे आए हैं। हालांकि, इसके इस्तेमाल की पूरी जानकारी होनी ज़रूरी है जैसे कि इसका कितना इस्तेमाल होना चाहिए, कब इसे बंद करना हैं। लेकिन कुछ लोग बिना डॉक्टर की सलाह लिए ख़ुद ही या फिर झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा दिए गए स्टीरॉइड का इस्तेमाल करने लगते हैं जिससे बाद में परेशानी खड़ी हो जाती है। स्टीरॉइड का इस्तेमाल शुरूआत के सात दिनों में करना बिल्कुल ग़लत और ख़तरनाक होता है। इसलिए, अस्पतालों में इसे एक हफ्ते के बाद ही मरीज़ों को दिया जाता है।    

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कोविड से ठीक होने के बाद के लक्षण (Symptoms after recovering from COVID-19 in Hindi)

कोविड से ठीक होने के बाद मरीज़ों में कमज़ोरी होना आम बात है। हालांकि, युवा इस कमज़ोरी से जल्दी बाहर निकल आते हैं। क्योंकि इसमें हमारे फेफड़े सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं इसलिए सांस फूलने और सांस लेने में दिक्कत होना जैसे लक्षण पाए जाते हैं। यहां ये बात ध्यान में रखना ज़रूरी है कि कोविड के इलाज के दो स्टेज होते हैं – एक बीमारी के दौरान और दूसरा इससे ठीक होने के बाद। यानि कोविड से ठीक होने के बाद भी मरीज़ को अपना ख़्याल रखने की ज़रूरत है। मरीज़ को डॉक्टर के फॉलो-अप पर रहना चाहिए। 

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कोविड के बाद कैसा रहता है इम्यून सिस्टम? (How to rebuild the immune system after COVID-19 in Hindi)

इम्यूनिटी मज़बूत होने से लोगों को मामूली सर्दी जुक़ाम जैसे लक्षण ही आते हैं। जिन लोगों की इम्यूनिटी मज़बूत होती है उनके कोविड से ठीक हो जाने के बाद कराए गए एंटी बॉडी टेस्ट के परिणाम अच्छे पाए गए हैं। अच्छी नींद लेना, व्यायाम करना, योग करना और अच्छी डाइट लेने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और इससे शरीर में एंटी बॉडी डेवलप हो जाती है जो कम से कम तीन महीने तक बनी रहती है। वैक्सीन से डेवलप होनी वाली एंटी बॉडी कम से कम छह से नौ महीने तक बनी रहती है।  

कितनी ख़तरनाक हो सकती है तीसरी लहर? (How dangerous will the third wave be in Hindi)

कोरोना की दूसरी लहर आने की आशंका पहले से ही जतायी जा रही थी लेकिन इससे बचने के लिए लोगों ने सावधानियां नहीं बरती। हर एक वायरस समय के साथ अपने में बदलाव करता रहता है इसलिए वैज्ञानिकों ने इसके नए म्यूटेंट के आने की आशंका जतायी है और शायद ये बच्चों पर सबसे ज्यादा असर कर सकती है। इसलिए, सभी को तीसरी लहर के लिए बेहद सावधानी बरतने की ज़रूरत है।    

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क्या तीसरी लहर बच्चों को करेगी प्रभावित? (Will the third wave affect children in Hindi)

इस बारे में दुनियाभर के वैज्ञानिक तमाम तरह के शोध कर रहे हैं, हांलाकि तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित करेगी या नहीं इसपर ठोस तौर पर कुछ भी नहीं कहा जा सकता। लेकिन क्योंकि वैज्ञानिक इस बात की तरफ़ इशारा कर रहे हैं इसलिए इसके पीछे कोई कारण ज़रूर हो सकता है। बच्चों की इम्यूनिटी बड़ों से अच्छी होती है इसलिए ये उम्मीद जतायी जा रही है कि शायद तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक ना हो। लेकिन फिर भी ये सभी बातें अभी पुख़्ता तौर पर नहीं कही जा सकती है और लगातार सावधानी बरतने की ज़रूरत है। जब तक बच्चों के लिए वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो जाती, तब तक बड़ों को वैक्सीनेशन करा लेना चाहिए क्योंकि घर के बड़ों से ही बच्चों को सबसे ज्यादा संक्रमण का ख़तरा हो सकता है। 

डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)

वैक्सीन को लेकर तमाम तरह की भ्रांतियों को छोड़कर सभी को वैक्सीन ले लेनी चाहिए। देश में उपलब्ध किसी भी वैक्सीन को समय रहते लगवा लें ताकि आने वाले दिनों में इससे कड़ाई से मुक़ाबला किया जा सके।  

डिस्कलेमर – कोरोना महामारी की वर्तमान स्थिति, ब्लैक फंगस और तीसरी लहर की आशंका पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉ राजीव गुप्ता, मेडीसिन स्पेशलिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।