ऑर्काइटिस पुरुषों से जुड़ी एक बीमारी है जिसमें मरीज़ के अंडकोष यानि टेस्टिकल्स में इन्फ्लामेशन हो जाता है जिसकी वजह से अंडकोष का आकार बढ़ने के साथ ही कई तरह की दिक्कतें पैदा हो जाती हैं। ऑर्काइटिस के लक्षण, कारण और इलाज के बारे में बता रहे हैं डॉ अनुभव राज। 

क्या होता है ऑर्काइटिस? (What is Orchitis in Hindi) 

ऑर्काइटिस रोग में पुरुषों के अंडकोष में मौजूद टेस्टिस में इन्फेक्शन, चोट लगने या फिर किसी रिएक्शन के कारण इन्फ्लामेशन हो जाता है। इसकी वजह से टेस्टिस में दर्द होना, लालपन आना, आकार का बढ़ना जैसी समस्याएं होने लगती हैं। यही नहीं, शरीर का अपना इम्यून सिस्टम वहाँ जाकर सेल्स को नुकसान पहुंचाते हैं। हालांकि, ये बीमारी बहुत आम नहीं है और पुरुषों की आबादी में सिर्फ 1% लोगों में ही यह रोग पाया जाता है। 

Orchitis

क्या हैं ऑर्काइटिस के लक्षण? (Symptoms of Orchitis in Hindi)

क्योंकि ऑर्काइटिस भी एक इंफ्लामेट्री डिज़ीज़ है इसलिए इसके लक्षणों में दर्द होना, सूजन आना और टेस्टिस में लालपन दिखना आम हैं। इसके अलावा, मरीज़ को पेट में दर्द, बुखार और उल्टी होना जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। 

ऑर्काइटिस होने के कारण (Causes of Orchitis in Hindi)

ऑर्काइटिस होने का मुख्य कारण है इन्फेक्शन। ये इन्फेक्शन बैक्टीरियल और वायरल दोनों तरह का हो सकता है। बैक्टीरियल इंफेक्शन की बात करें तो ऐसे बैक्टीरिया जो यूरिनरी ट्रैक्ट को प्रभावित कर सकते हैं जैसे कि ई कोलाई बैक्टीरिया के द्वारा इन्फेक्शन हो सकता है। इसके अलावा, टीबी के बैक्टीरिया भी ट्युबरकुलर ऑर्काइटिस का कारण बन सकते हैं। साथ ही साथ सेक्शुअली ट्रांसमिटेड बैक्टीरिया की वजह से भी ये रोग हो जाता है। वहीं नॉन बैक्टीरियल इन्फेक्शन की बात करें तो वायरल इन्फेक्शन जिसमें कि सबसे ज्यादा मम्स वायरस के कारण ऑर्काइटिस होता है।  

Orchitis test

किन चीजों से बढ़ सकती है परेशानी? (What are the things that can increase problem in Hindi)

वायरल ऑर्काइटिस ज़्यादातर मम्स के कारण होता है इसलिए सभी को देश में होने वाले टीकाकरण के अंतर्गत मम्स का टीका लगवा लेना चाहिए। इसके अलावा, पेशाब के रास्ते में किसी भी तरह की परेशानी होने पर इन्फेक्शन का ख़तरा होता है और इलाज न किए जाने पर ये इन्फेक्शन बैक्टीरियल ऑर्काइटिस में बदल जाता है। अगर कुछ दवाइयों के सेवन से किसी तरह का रिएक्शन होता है तो तुरंत अपने डॉक्टर को बताना चाहिए। साथ ही अगर किसी को टीबी की बीमारी है तो भी इसका असर टेस्टिकल्स में हो सकता है। 

ऑर्काइटिस के परीक्षण की विधियां (Methods of testing Orchitis in Hindi)

ऑर्काइटिस की जांच क्लिनिकल होती है जिसमें देखकर और छू कर ही बीमारी का पता लगाया जाता है। अंडकोष में सूजन, दर्द और लालपन होना ही ऑर्काइटिस की पुष्टि करता है। हालांकि, इससे आगे कई जांचों में मरीज़ का ब्लड टेस्ट किया जाता है जिससे की इन्फेक्शन के स्तर का पता चल सके। इसके अलावा, यूरिन की रूटीन माइक्रोस्कोपी की जाती है जिससे पेशाब में किसी तरह के इन्फेक्शन का पता लग सके। इसमें कुछ अल्ट्रासाउंड भी किए जाते हैं जिससे अंडकोष में किसी तरह के तरल पदार्थ का इकट्ठा होना, सूजन और रक्त के प्रवाह के बढ़ने का सटीक पता लगाया जाता है। 

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परीक्षण के बाद क्या हैं इलाज के तरीक़े? (What are the treatment modalities after the test in Hindi)

एक बार डायग्नोसिस के बन जाने पर डॉक्टर ये देखते हैं कि ऑर्काइटिस वायरल है या फिर बैक्टीरियल। वायरल ऑर्काइटिस होने पर मरीज़ के लक्षण के अनुसार इलाज किया जाता है जिसमें दर्द को कम करने की दवाइयाँ दी जाती है, अंडकोष को सहारा देना और मरीज़ को आराम करने की सलाह दी जाती है। वहीं बैक्टीरियल ऑर्काइटिस होने पर ये देखा जाता है कि ये किस तरह का बैक्टीरिया है। यूरिनरी ट्रैक्ट में बैक्टीरियल इंफेक्शन होने पर एंटीबायोटिक दवाएं, पेनकिलर दी जाती हैं, इसमें भी अंडकोष को सहारा देना और आराम करने की सलाह दी जाती है। इसमें मरीज़ को ये जानना ज़रूरी है कि एंटीबायोटिक दवाओं से इन्फेक्शन तो ख़त्म हो जाता है लेकिन दर्द और सूजन जाने में थोड़ा वक़्त लग सकता है। 

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क्या जीवनशैली में बदलाव और घरेलू इलाज मददगार हैं? (Are lifestyle changes and home remedies helpful in Hindi)

क्योंकि ऑर्काइटिस एक सर्जिकल बीमारी है इसलिए किसी तरह के घरेलू इलाज और जीवनशैली से जुड़ी चीजें इसके इलाज के तौर पर नहीं की जा सकतीं। हाँ, लेकिन जीवनशैली में बदलाव की बात करें तो सेक्शुअली ट्रांसमिटेड ऑर्काइटिस से बचाव के लिए संबंध बनाते समय सुरक्षा उपायों का इस्तेमाल करना चाहिए। 

अनदेखा करने पर हो सकती हैं जटिलताएं  (Ignoring can lead to complications in Hindi)

ऑर्काइटिस को अनदेखा करने पर कई तरह की परेशानियां हो सकती हैं। इन्फेक्टिव ऑर्काइटिस होने पर ये टेस्टिकुलर ऐब्सेस में बदल सकते हैं और इसकी वजह से टेस्टिस का आकार सिकुड़ सकता है। टेस्टिस का आकार सिकुड़ने के कारण शुक्राणुओं का निर्माण कम हो सकता है और इससे इनफर्टिलिटी हो जाती है। 

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डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)

टेस्टिस में किसी भी तरह की परेशानी दिखने पर समय न गवाएं और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, अपनी पूरी हिस्टरी दें और इलाज कराएं ताकि टेस्टिस की किसी भी तरह की बीमारी से समय रहते बचाव किया जा सके। 

डिस्क्लेमर – ऑर्काइटिस रोग के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णतः डॉक्टर अनुभव राज, यूरोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।

 Note: This information on Orchitis, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Anubhav Raj (Urologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.