हमारे ख़ून में मौजूद रेड ब्लड सेल्स जब कम हो जाते हैं या जब इनके काम करने की क्षमता पर असर पड़ता है तो इससे व्यक्ति एनिमिया रोग का शिकार हो जाता है। एनिमिया के कारण, लक्षण तथा इलाज के बारे ज्यादा जानकारी दे रही हैं डॉक्टर मालविका मिश्रा, स्त्री रोग विशेषज्ञ।  

हमारे रक्त में रेड ब्लड सेल्स होते हैं जो हीमोग्लोबीन के कारण लाल रंग के दिखते हैं। जब हमारे शरीर में आयरन की कमी होती है तो हीमोग्लोबीन की ऑक्सीजन ले जाने की क्षमता भी कम हो जाती है जिससे शरीर के सभी अंगों को सही तरह से ऑक्सीजन नहीं मिल पाता। आयरन की कमी होने से व्यक्ति को एनिमिया रोग हो जाता है। हालांकि एनिमिया होने के कई दूसरे कारण भी होते हैं लेकिन खान-पान में आयरन की कमी इसकी मुख्य वजह है। भारत में एनिमिया के लगभग 37 प्रतिशत मामले खाने पीने में लौह पदार्थ की कमी से ही होते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मानक अनुसार गर्भावस्था के दौरान अगर हीमोग्लोबीन 11 से कम हो तो इसे एनिमिया कहा जाएगा। इसके अलावा डिलीवरी के बाद ये 10 से कम हो तो इसे भी एनिमिया की श्रेणी में रखा जाता है।  

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गर्भावस्था में एनिमिया का क्या प्रभाव पड़ता है? (What is the effect of anemia in pregnancy in Hindi) 

गर्भावस्था के दौरान शरीर को आयरन की ज्यादा ज़रूरत पड़ती है। एनमिया का स्तर बहुत कम होने पर गर्भ में पल रहे शिशु की जान को भी ख़तरा हो सकता है। इसके अलावा आयरन की कमी होने पर सही मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलने पर बच्चे के मानसिक विकास पर भी असर पड़ता है। यही नहीं, अगर गर्भ में बच्चे को ख़ून की सही तरह से सप्लाई ना मिले तो पैदा होने के बाद भी बच्चे को डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर या इस तरह की लंबे समय तक रहने वाले रोग हो सकते हैं।  

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गर्भावस्था में आयरन क्यों है ज़रूरी? (Why is iron important during pregnancy in Hindi)

प्रेगनेंसी के दौरान मां का प्लाज़मा वॉल्यूम बढ़ जाता है क्योंकि इसी ख़ून से गर्भ में पल रहे बच्चे को पूरा पोषण मिलता है। गर्भावस्था में आयरन ना केवल मां के लिए बल्कि बच्चे के विकास के लिए भी ज़रूरी होता है इसलिए आयरन की मात्रा शरीर में बढ़ाना आवश्यक हो जाता है। 

एनिमिया के लक्षण (Symptoms of anemia in Hindi)

गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में आयरन की कमी के कारण थकान होना, कमज़ोरी महसूस करना, उल्टी और चक्कर आना, धड़कन तेज़ चलना, सांस फूलना, ब्लड प्रेशर कम होना वगैरह जैसे लक्षण दिखते हैं। बहुत से ऐसे काम हैं जिसमें शारीरिक और मानसिक तौर पर उर्जा की ज़रूरत होती है लेकिन आयरन की कमी की वजह से ऐसे कामों को करने की क्षमता कम हो जाती है।  

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एनिमिया का ख़तरा सबसे अधिक किसे है? (Who is the most at risk of anemia in Hindi)  

ऐसी टीनेजर्स लड़कियां जिन्हें माहवारी शुरू हो जाती है, उन्हें इस दौरान ख़ून की कमी का सामना करना पड़ता है। माहवारी के शुरूआती दिनों में उनके पीरियड्स के साइकिल में भी बदलाव आते हैं। शरीर में ख़ून की कमी के अलावा सही पोषण और लौह पदार्थ ना मिलने से टीनेजर लड़कियां एनिमिया से पीड़ित हो सकती हैं। इसके अलावा गर्भवती महिलाओं को भी गर्भावस्था में बच्चे के पोषण के लिए अतिरिक्त आयरन की आवश्यकता पड़ती है इसलिए गर्भवती महिलाओं को भी एनिमिया होने का ख़तरा बना रहता है। साथ ही साथ दिल और पेट की बीमारी से पीड़ित लोगों में भी आयरन की कमी के कारण एनिमिया रोग हो जाता है।  

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बच्चों के स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है? (What is the impact on the health of children in Hindi) 

गर्भ के अंदर बच्चे को सही से ख़ून की सप्लाई ना मिलने से ऑक्सीजन की कमी होती है और इसका प्रभाव उसके शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है। जन्म के बाद भी आयरन की कमी के कारण बच्चे का वज़न कम रह सकता है और कई बीमारियां जैसे डायबिटीज़ और ब्लड प्रेशर होने का ख़तरा भी बना रहता है। इसके अलावा समय से पहले ही बच्चे का जन्म हो सकता है या फिर बच्चेदानी की झिल्ली कमज़ोर हो जाती है। बहुत ही गंभीर स्थिति में बच्चे की मौत भी हो सकती है।  

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कैसे होता है एनिमिया का इलाज? (How is anemia treated in Hindi)

एनिमिया के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए जिसके बाद ब्लड टेस्ट के ज़रिए इसकी पुष्टि की जाती है कि व्यक्ति को एनिमिया है या नहीं। इसके अलावा एनिमिया होने की वजह का भी पता लगाया जाता है ताकि उसी अनुसार मरीज़ का इलाज किया जा सके। एनिमिया होने के कई कारण है जिसमें से आयरन की कमी के कारण एनिमिया होने पर आयरन की मात्रा बढ़ाने के लिए दवाइयां दी जाती हैं। मरीज़ के वज़न और शरीर में आयरन की कमी को देखते हुए आयरन के डोज़ दिए जाते हैं। इसके अलावा मरीज़ को आयरन युक्त भोजन करने की सलाह दी जाती है। कुछ मामलों में जब मरीज़ किसी वजह से आयरन की दवाइयां नहीं ले पाता, तो उसे आईवी आयरन थेरेपी भी दी जाती है। हालांकि केवल आयरन की दवाइयां खाने से एनिमिया ठीक नहीं हो जाता क्योंकि आयरन को सोखने के लिए शरीर को विटामिन सी, फॉलिक एसिड, बी कॉमप्लेक्स और प्रोटीन की ज़रूरत भी होती है इसलिए आयरन के साथ साथ इन तत्वों को लेना भी आवश्यक है। ये भी याद रखें कि आयरन की गोली दूध के साथ ना लें क्योंकि कैल्शियम युक्त पदार्थ आयरन को सोख नहीं पाते।  

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आयरन की ख़ुराक कैसे लें? (How to take iron dose in Hindi)

आयरन की कमी को पूरा करने के लिए मांस, मछली, पालक, फल और फलों के जूस जैसी चीज़ों का सेवन करें जो शरीर में आयरन को सोखने में मदद करते हैं। आयरन से भरपूर हरी सब्ज़ियां, पालक, चना, गुड़, खजूर, मांस, मछली, किशमिश, ख़ुबानी वगैरह खाने से शरीर में इसकी कमी को पूरा करने में मदद मिलती है। इसके अलावा मरीज़ के वज़न और आयरन की कमी को देखते हुए डॉक्टर दवाइयां भी देते हैं।  

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डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)

आयरन की गोली लेने से कुछ लोगों को उल्टी या कब्ज़ की शिकायत हो सकती है, ऐसे में उन्हें अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान महिला हर तरह का भोजन कर सकती हैं जिसमें घर का बना खाना, फल और सब्ज़ियां शामिल है। लेकिन प्रेगनेंसी में बाहर का तला-भुना खाने से परहेज़ करना चाहिए और कच्चा पपीता भी नहीं खाना चाहिए। गर्भ धारण करते ही महिला को किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए और हर तरह की जांच करा लेनी चाहिए ताकि एनिमिया जैसे ख़तरे से बचा जा सके।  

डिस्कलेमर – एनिमिया के प्रकार, लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर मालविका मिश्रा, स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।   

Note: This information on Anemia, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Malvika Mishra (Obstetrician/Gynecologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.