मल में ख़ून आना बहुत ही गंभीर बात है जिसे मेडिकल भाषा में हिमैटोचेज़िया (Hematochezia) कहा जाता है। कई मरीज़ ऐसे हैं जो इसका इलाज करा कर थक गए हैं लेकिन फ़ायदा नहीं हुआ जबकि इसका उचित इलाज मौजूद है। क्या है इसका इलाज और कैसे करें इससे बचाव बता रहे हैं डॉक्टर अजय कुमार पटवा, गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट।

सही मायनों में मल से ख़ून आना खुद में एक बीमारी नहीं है बल्कि किसी दूसरी ख़तरनाक बीमारी का लक्षण है। मल में ख़ून कई कारणों या बीमारियों की वजह से आ सकता है इसलिए इसके सही कारण का पता लगाया जाना बहुत ज़रूरी है ताकि सही इलाज हो सके। हिमैटोचेज़िया एक ऐसी परेशानी है जिसके बारे के मरीज़ खुलकर बात नहीं कर पाते और इसलिए इलाज में काफ़ी देर हो जाती है। 

 

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मल में ख़ून आने का कारण? (What causes blood in stool in Hindi)

मल में ख़ून कई वजह से आ सकता है जिनमें ज्यादातर गुदा के आसपास होने वाली बीमारियां हैं। गुदा से जुड़ी बीमारियां जैसे पाइल्स, फिशर, कोलाइटिस और कैंसर की वजह से मल में खून आता है। इसके अलावा कुछ मामलों में अगर उपर की आंतों या पेट से ख़ून का रिसाव हो रहा है तो भी मल में ख़ून आ सकता है। ये बीमारी किसी को भी हो सकती है।  

बच्चों को क्यों आता है मल में ख़ून? (Why do children bleed in feces in Hindi)

बच्चों में अधिकतर पेट में कीड़े होने की वजह से मल में ख़ून आता है। लेकिन आजकल कई तरह के अध्ययन से ये पता चला है कि बच्चों की आंतों में पॉलिप (Polyp) नाम की एक बीमारी होती है जिसमें आंतों में खुद ब खुद एक तरह की संरचना बन जाती है। ये संरचना मटर के दानों या उंगलियों की तरह होती है जो अपने आप ही आंतों में बन जाती है। इस संरचना में अल्सर हो जाता है जिससे मल में भी खून आने लगता है। मल में ख़ून आने का एक और कारण है कोलाइटिस, जो ज्यादातर बड़ों में देखने को मिलता है हालांकि आजकल की बदलती हुई जीवनशैली की वजह से बच्चों में भी अल्सरेटिव कोलाइटिस (Ulcerative colitis) पाया जाता है। इसके अलावा कुछ मामलों में बच्चों में पाइल्स और फिशर की बीमारी की वजह से भी ख़ून आता है लेकिन ज्यादातर मामलों में ये पॉलिप और कोलाइटिस से ही होता है।  

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क्या हैं इसके लक्षण? (What are its symptoms in Hindi)

इसमें मरीज़ को मल में ख़ून आने लगता है। साथ ही उस बीमारी के भी लक्षण दिखते हैं जिसके कारण हिमैटोचेज़िया हुआ है जैसे अगर कोलाइटिस की वजह से ख़ून आ रहा है तो मरीज़ को पेट में दर्द होता है। इसके अलावा पाइल्स या फिशर के कारण अगर हिमैटोचेज़िया हुआ है तो मरीज़ को गुदा के आसपास किसी तरह की गांठ या कोई असामान्य सरंचना होने का पता चलता है। इसके अलावा अगर किसी के उपरी आंतों से ख़ून का रिसाव हो रहा है तो इसमें लीवर से संबंधित कोई परेशानी देखने को मिलती है।  

क्या है इसका उपचार? (What is its treatment in Hindi)

इसके इलाज के लिए सबसे पहले मरीज़ के लक्षणों की पूरी तरह से जांच की जाती है और उसके आधार पर गुदा के रास्ते की दूरबीन से जांच की जाती है जिससे लगभग नब्बे प्रतिशत मामलों में सटीक कारण का पता चल जाता है। पॉलिप, कोलाइटिस और दूसरे कारणों का पता चलने पर सर्जरी के ज़रिए इसका इलाज किया जाता है। अधिकतर मामलों में हिमैटोचेज़िया को ठीक करने के लिए सर्जरी ही की जाती है जबकि दवाइयों का इस्तेमाल इसमें काफ़ी कम होता है। अगर दवाइयों से इलाज में फ़ायदा होता है तो भी सर्जन से ज़रूर चेक कराना चाहिए कि सर्जरी की ज़रूरत है या नहीं।  

मल में ख़ून आने से कैसे करें बचाव? (How to prevent the blood in stool in Hindi) 

क्योंकि हिमैटोचेज़िया खुद एक बीमारी नहीं है बल्कि ये दूसरी गंभीर बीमारियां होने का एक लक्षण है इसलिए इसकी रोकथाम उन बीमारियों को ठीक करके ही की जा सकती है। अगर कैंसर के कारण ख़ून आ रहा है तो कैंसर का इलाज कराना चाहिए वर्ना ये जानलेवा भी हो सकता है। किसी तरह के अल्सर होने पर अल्सर का इलाज ज़रूरी है वर्ना इससे और भी दूसरी बीमारियां हो सकती हैं। पाइल्स और फिशर के मरीज़ कब्ज़ियत का इलाज कराएं तो हिमैटोचेज़िया से बचा जा सकता है। इन सभी के बावजूद सर्जरी ही हिमैटोचेज़िया का सटीक इलाज है।  

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क्या खाएं, क्या ना खाएं? (What to eat, what not in Hindi)  

हालांकि हिमैटोचेज़िया किसी तरह के भोजन से सीधे तौर पर संबंधित नहीं है लेकिन फिर भी कुछ मामलों में भोजन से भी असर पड़ता है जैसे अगर मरीज़ को अल्सरेटिव कोलाइटिस हो तो उसे दूध और उससे बनी चीज़े खाने से परहेज़ करने की सलाह दी जाती है क्योंकि इससे दस्त होने की संभावना बढ़ जाती है। लंबे समय तक बाहर का खाना खाने से कई तरह के इंफेक्शन का ख़तरा होता ही है जिससे अल्सर बन सकते हैं और भी कई समस्याएं हो सकती हैं इसलिए घर का बना हुआ संतुलित भोजन ही अच्छा है। 

डॉक्टर की सलाह (Doctor’s advice in Hindi)  

हिमैटोचेज़िया होने पर किसी तरह का घरेलू इलाज ना करें और तुरंत डॉक्टर को दिखाएं। कई बार हिमैटोचेज़िया के मरीज़ देर से डॉक्टर के पास जाते हैं क्योंकि वो इसके बारे में बात करने से झिझकते हैं। ऐसे में कभी कभी हालत गंभीर भी हो सकती है इसलिए बिना किसी संकोच के तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।   

डिस्कलेमर – मल में ख़ून आने की बीमारी, इसके लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: अजय कुमार पटवा, गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है। 

Note: This information on Blood in Stool, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Ajay Kumar Patwa (Gastroenterologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.