किसी भी महिला के शरीर में दो अंडाशय होते हैं जिनमें किसी कारण से जब द्रव्य की थैलियां बन जाती हैं तो इसे ओवेरियन सिस्ट कहा जाता है। आमतौर पर तीन चार महीने में ये थैलियां खुद ही नष्ट हो जाती हैं और इसके कैंसर में बदलने की आशंका भी कम होती है लेकिन कभी कभी ये कैंसर का रूप ले सकती हैं। क्या है अंडाशय में सिस्ट बनने का कारण और कैसे करें इससे बचाव, बता रही हैं डा वैशाली जैन।
- ओवेरियन सिस्ट के लक्षण
- ओवेरियन सिस्ट होने के कारण
- ओवेरियन सिस्ट के जोख़िम
- ओवेरियन सिस्ट के प्रकार
- कैसे होता है परीक्षण?
- क्या हैं इलाज के तरीक़े?
- क्या सिस्ट बांझपन का कारण बन सकता है?
- कैसे करें बचाव?
ओवेरियन सिस्ट के लक्षण (Symptoms of ovarian cyst in Hindi)
आमतौर पर इन गांठों के बनने पर किसी तरह के लक्षण दिखायी नहीं देते। लेकिन अगर इनका आकार बड़ा हो या फिर इनमें किसी तरह का इंफेक्शन होने पर लक्षण सामने आ सकते हैं जिनमें पेट में दर्द होना, कब्ज़, सूजन, उल्टी, भोजन ना पचना, जी मिचलाना वगैरह शामिल है। इसके अलावा अगर महिला की योनि में बार बार इंफेक्शन हो रहा हो तो ऐसे में सिस्ट होने की आशंका रहती है। हांलाकि, ये सिस्ट वैसे तो कोई नुकसान नहीं पहुंचाते लेकिन अगर ये गांठें एक दूसरे के उपर चढ़ जाएं, तो मरीज़ को तेज़ दर्द का सामना करना पड़ता है, साथ ही मरीज़ को चक्कर भी आ सकते हैं और वो बेहोश भी हो सकते हैं। इसके अलावा कभी कभी ये गांठे फट जाती हैं जिससे मरीज़ को ब्लीडिंग होती है।
ओवेरियन सिस्ट होने के कारण (Causes of ovarian cyst in Hindi)
हॉरमोनल इंबैलेंस और माहवारी में अनियमितता के कारण इस तरह की गांठें बन जाती हैं। इसके अलावा मोटापे की शिकार महिलाओं में पीसीओडी (PCOD) नामक बीमारी के कारण भी सिस्ट का निर्माण हो सकता है। जिन बच्चियों को बहुत जल्दी माहवारी शुरू हो जाती है जैसे कि दस साल की उम्र में ही पीरियड्स होना, तो उनमें सिस्ट बनने की संभावना अधिक रहती है। माहवारी के दौरान अगर महिला को किसी तरह का इंफेक्शन हो जाता है तो भी सिस्ट के बन जाते हैं और अंडाशय के साथ साथ बच्चेदानी को भी नुकसान पहुंचाते हैं।
ओवेरियन सिस्ट के जोख़िम (Complications of ovarian cyst in Hindi)
कुछ ही सिस्ट ऐसे होते हैं जिनसे कैंसर हो सकता है इसलिए ऐसे में महिला की पारिवारिक हिस्ट्री जानना बहुत ज़रूरी है। अगर महिला से सीधे तौर पर संबंधित महिलाओं को किसी तरह का कैंसर हुआ हो तो ऐसे में उस महिला को भी कैंसर होने की संभावना बनी रहती है। इसके अलावा जेनेटिक कारण भी होते हैं जिनमें BRCA 1 और BRCA 2 जीन्स के मौजूद होने की वजह से भी कैंसर होने की आशंका होती है। इसके कैंसर में तब्दील होने की एक स्थिति तब भी बनती है जब महिला की उम्र 40-50 साल से ज्यादा हो।
ओवेरियन सिस्ट के प्रकार (Types of ovarian cyst in Hindi)
माहवारी के तेरहवें या चौदहवें दिन महिला के अंडाशय में अंडा बनता जिससे छोटा अंडा निकलता है। जब ये अंडा नहीं फूट पाता और इससे छोटा अंडा नहीं निकलता तो उसमें द्रव्य भर जाता है जिसे फॉलीकूलर सिस्ट कहा जाता है। ऐसा अधिकतर हॉरमोनल इंबैलेंस के कारण होता है। इसके अलावा कॉर्पस लूटियस सिस्ट में अंडा तो फूट जाता है लेकिन उसमें दोबारा द्रव्य इकट्ठा हो जाता है। ये दोनों तरह के सिस्ट बहुत बड़े नहीं होते और दो तीन महीनों में नष्ट हो जाते हैं। इसके अलावा एक डर्मोइड सिस्ट (Dermoid cyst) भी होता है जिसमें अंडाशय के अंदर मौजूद एमब्रोजिकल टिश्यू एक गांठ का रूप ले लेते हैं। ये भी नॉन कैंसरस होते हैं। सिर्फ़ एक से दो प्रतिशत मामलों में इनके कैंसर में बदलने की संभावना रहती है। एक और तरह का सिस्ट होता है जिसे चॉकलेट सिस्ट कहा जाता है जिसमें बच्चेदानी की लाइनिंग अंडाशय में जाकर मिल जाती है और वहां एक गांठ बना देती है जिससे चॉकलेट के रंग का द्रव्य निकलता है। इसके कारण महिलाओं में बांझपन हो जाता है। इनके अलावा पीसीओडी (PCOD) भी हो जाती है जिसमें बहुत सारे छोटे छोटे सिस्ट अंडाशय में बन जाते हैं जो इनफर्टिलिटी करते हैं लेकिन कैंसर नहीं बनते। इस तरह की गांठों के लिए ज्यादा कुछ करने की ज़रूरत नहीं पड़ती और महिला को गर्भ निरोधक गोलियां या हॉरमोनल दवाइयां दी जाती हैं जिससे की सिस्ट गल जाए।
कैसे होता है परीक्षण? (How is it diagnosed in Hindi)
गांठें किस तरह की हैं इसका पता लगाने के लिए कुछ हॉरमोनल टेस्ट किए जाते हैं, साथ ही प्रेगनेंसी टेस्ट भी किया जाता है क्योंकि कुछ गांठे गर्भावस्था से भी जुड़ी होती हैं। इसके अलावा ट्रांस वजाइनल अल्ट्रा साउंड किया जाता है जिससे सिस्ट की सही जगह, उसके प्रकार और अंदर भरे पदार्थ का पता चलता है। अगर परीक्षण के दौरान सिस्ट के कैंसर में बदलने की संभावना दिखती है तो महिला का CA-125 टेस्ट कराया जाता है जो कि एक तरह का ट्यूमर मार्कर है और इससे कैंसर होने की संभावना की पुष्टि हो जाती है।
क्या हैं इलाज के तरीक़े? (What are the ways of treatment in Hindi)
महिला की उम्र, गांठ का प्रकार, आकार, और लक्षणों को देखने के बाद इलाज किया जाता है। ऐसी महिलाएं जिनकी माहवारी अभी बंद नहीं हुई है, उनका गर्भनिरोधक गोलियों के द्वारा और हॉरमोनल ट्रीटमेंट के ज़रिए इलाज किया जाता है। हर छह महीने के बाद उनका अल्ट्रासाउंड करके स्थिति का पता किया जाता है। वहीं जिन महिलाओं की माहवारी रूक जाती है उनमें सर्जरी की आवश्यकता पड़ सकती है। हांलाकि, सर्जरी तभी की जाती है जब सिस्ट के गंभीर होने का पता चले। अगर सिस्ट का आकार छोटा है या उसमें सिर्फ़ पानी भरा हो और उससे महिला को कोई दिकक्त नहीं हो रही हो, तो सर्जरी की आवश्यकता नहीं होती। सर्जरी दो तरह से की जाती है जिसमें दूरबीन विधि के ज़रिए पेट में छोटा सा छेद बनाकर सिस्ट को नष्ट किया जाता है। लेकिन सिस्ट के कैंसर बनने की स्थिति में ओपन सर्जरी द्वारा अंडाशय के साथ ही बच्चेदानी को भी निकालना पड़ता है। कम उम्र की महिलाएं या ऐसी महिलाएं जो बच्चा चाहती हैं, उनके अंडाशय से केवल गांठ निकाला जाता है ना कि पूरे अंडाशय को।
क्या सिस्ट बांझपन का कारण बन सकता है? (Can cyst cause infertility in Hindi)
अध्ययनों के मुताबिक अधिकत्तर गांठें बांझपन नहीं करती बल्कि गांठों के साथ भी महिला गर्भधारण कर सकती है। हांलाकि, पीसीओडी और चॉकलेट सिस्ट ऐसी दो गांठें हैं जिनसे इनफर्टिलिटी हो जाती है।
कैसे करें बचाव? (How to prevent it in Hindi)
डॉक्टरों की माने तो इसे रोकने का कोई उपाय नहीं है और इसके लक्षण भी दूसरी बीमारियों से मिलते जुलते हैं इसलिए महिलाओं को हर साल अपना अल्ट्रा साउंड कराते रहना चाहिए ताकि ऐसे किसी सिस्ट के बारे में समय रहते पता चल सके।
डिस्कलेमर – अंडाशय में गांठ (ओवेरियन सिस्ट), इसके लक्षण, कारण और इलाज पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉ वैशाली जैन, स्त्री रोग विशेषज्ञ द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Ovarian Cyst , in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Vaishali Jain (Gynaecologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.