Pancreatitis symptoms

अग्नाशय शरीर में मौजूद एक ग्रंथि है जो भोजन पचाने में मदद करने वाले कई तरह के एन्ज़ाइम छोड़ती है। लेकिन किसी वजह से अगर अग्नाशय में सूजन हो जाए तो यह अपना काम ठीक से नहीं कर पाती और इसे ही पैन्क्रियाटाइटिस कहते हैं। पैन्क्रियाटाइटिस के बारे में विस्तार से बता रहे हैं डॉक्टर संदीप कुमार वर्मा, सर्जिकल गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट। 

पैन्क्रियाटाइटिस बीमारी में किन्हीं कारणों से पैन्क्रियाज़ यानि अग्नाशय में सूजन हो जाती है और इसकी वजह से उससे निकलने वाले एन्ज़ाइम भोजन से मिलने वाले पोषक तत्वों को नहीं सोख पाता है। इस बीमारी की वजह से मरीज़ को पेट में दर्द, पेट फूलना, बुख़ार, उल्टी वगैरह की शिक़ायत रहती है। गंभीर स्थिति में इसका असर दूसरे अंगों पर भी पड़ता है जिससे मरीज़ की जान को भी ख़तरा हो जाता है।   

stomachache

पैन्क्रियाटाइटिस के लक्षण (Symptoms of Pancreatitis in Hindi)

पैन्क्रियाटाइटिस रोग में मरीज़ के पेट में असहनीय दर्द होना इसका एक प्रमुख लक्षण है। इसके साथ ही पेट का फूलना, बुख़ार, उल्टी होना, आंतों में दिक्कत जैसे लक्षण भी दिखायी देते हैं। कभी कभी ये रोग शुरूआत में ही गंभीर हो जाता है और दूसरे अंगों को भी प्रभावित करने लगता है जिसके कारण मरीज़ को आईसीयू में भर्ती करना पड़ता है। लगभग 80 प्रतिशत मामले सामान्य होते हैं जिसमें सही वक्त पर इलाज मिलने से मरीज़ में सुधार होने लगता है लेकिन 20 प्रतिशत मामलों में स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि मरीज़ की जान बचाना मुश्किल हो जाता है। गंभीर मामलों में पैन्क्रियाज़ में सूजन के साथ साथ सड़न भी हो जाती है। 

पैन्क्रियाटाइटिस के प्रकार (Types of pancreatitis in Hindi) 

समय के अनुसार इस रोग को दो भागों में बांटा जा सकता है। कम समय में या अचानक होने वाले रोग को एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस कहा जाता है जबकि यदि लंबे वक्त तक ये बीमारी बनी हुई हो, तो ये क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस कहलाता है। यदि इसे हफ्तों में गिना जाए तो चार हफ्तों से कम की अवधि में इसे एक्यूट और चार हफ्तों से ज्यादा की अवधि में क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस कहा जाता है। इसके अलावा बीमारी होने के कारणों के अनुसार भी इसे अलग अलग तरह से बांटा जाता है।  

Pancreatitis

पैन्क्रियाटाइटिस के कारण (Causes of pancreatitis in Hindi)

बड़े लोगों में पैन्क्रियाटाइटिस होने के दो प्रमुख कारण हैं जिनमें से एक है पित्ताशय की पथरी का खिसककर अग्नाशय के मुंह तक आ जाना और दूसरा है शराब के सेवन के कारण। उत्तर भारत के लोगों में पित्त की थैली में पथरी होना बड़ी संख्या में पाया जाता है जिसका कारण यहां का खानपान हो सकता है। कभी कभी पित्ताशय की यही पथरी खिसक कर अग्नाशय के मुंह तक पहुंच जाती है और इस रोग का कारण बन जाती है। ख़ासकर छोटी पथरियां इसमें अधिक नुकसान पहुंचाती हैं क्योंकि ये आसानी से सरक कर अग्नाशय तक पहुंचकर सूजन पैदा करती हैं। इसके अलावा शराब के अधिक सेवन से भी अग्नाशय में सूजन हो जाती है। लगभग नब्बे प्रतिशत मामलों में पैन्क्रियाटाइटिस होने के यही दो मुख्य कारण होते हैं। इसके अलावा बच्चों को पेट में चोट लगने और दूसरी बीमारियों की वजह से पैन्क्रियाटाइटिस हो जाता है।  

पैन्क्रियाटाइटिस की जटिलताएं (Complications of pancreatitis in Hindi)

करीब बीस प्रतिशत मामलों में स्थिति गंभीर हो जाती है, जब इस बीमारी का असर दूसरे अंगों पर भी पड़ने लगता है। ऐसे में पैन्क्रियाटाइटिस के इलाज के साथ साथ दूसरे अंगों का इलाज भी करना पड़ता है। दूसरी जटिलताओं की बात करें तो पैन्क्रियाज़ के आसपास कुछ मुख्य नसें होती हैं जिनमें ख़ून का थक्का जम जाता जिससे ख़ून का रिसाव हो सकता है, खाने की नली में रूकावट हो सकती है, पानी की गांठ बन सकती है। इसके अलावा पित्त की नली में भी सूजन हो सकती है जिससे पीलिया रोग हो जाता है।

  

Pancreatitis test

पैन्क्रियाटाइटिस का परीक्षण (Tests of pancreatitis in Hindi)

मरीज़ के लक्षणों के अनुसार ये पता लगाया जाता है कि ये दर्द पैन्क्रियाटाइटिस का है या नहीं। इसके साथ ही अमाइलेज़ और लाइपेज़ नामक दो ख़ून की जांच भी की जाती है। इसके अलावा सी टी स्कैन और अल्ट्रा साउंड द्वारा अग्नाशय में सूजन का पता किया जाता है। इन तीनों में से अगर दो बातें भी मौजूद हों तो इसे पैन्क्रियाटाइटिस होने के तौर पर देखा जाता है।  

पैन्क्रियाटाइटिस का इलाज (Treatment of pancreatitis in Hindi)

एक्यूट पैन्क्रियाटाइटिस में मरीज़ को खाली पेट रखा जाता है और पेट को आराम दिया जाता है। इस स्थिति में नसों द्वारा खाना और पानी दिया जाता है जिससे काफ़ी हद तक दर्द में आराम मिलता है और सूजन कम होने लगती है। साथ ही मरीज़ की भूख भी वापस आने लगती है। लगभग 80 प्रतिशत मामलों में इस तरह के इलाज से मरीज़ ठीक होने लगते हैं लेकिन क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस होने पर दवाइयां देने के बाद भी दिक्कतें बढ़ सकती हैं। इस स्थिति में शरीर के दूसरे अंगों को भी सपोर्ट देना पड़ता है और मरीज़ को आईसीयू में भर्ती किया जाता है क्योंकि इसमें जान जाने का ख़तरा बना रहता है। क्रोनिक पैन्क्रियाटाइटिस में इलाज छह महीने से अधिक समय तक भी चल सकता है जिसमें एक एक करके इलाज की विधियां अपनायी जाती हैं जैसे कि सूई द्वारा पानी निकालना, दूरबीन तकनीक के ज़रिए गंदगी साफ़ करना वगैरह। अगर इन सभी चीज़ों से भी आराम नहीं मिलता तो ओपन सर्जरी की जाती है।  

healthy lunch

पैन्क्रियाटाइटिस से बचाव और डॉक्टर की सलाह (Prevention of pancreatitis and doctor’s advice in Hindi)

इस बीमारी से बचने के लिए संतुलित आहार लें, चिकनाई युक्त भोजन से परहेज़ करें और भरपूर मात्रा में पानी पिएं। ज्यादा समय तक खाली पेट ना रहें, साथ ही शराब और सिगरेट के सेवन से बचें। इसके अलावा पित्त की थैली में पथरी होने पर उसका इलाज कराएं।  

डिस्कलेमर – पैन्क्रियाटाइटिस बीमारी के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर संदीप कुमार वर्मा, सर्जिकल गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है। 

Note: This information on Pancreatitis, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Sandeep Kumar Verma (Surgical Gastroenterologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.