क्या आपको पेशाब करने में जलन महसूस होती है या फिर आपको बार बार पेशाब आता है, तो हो जाएं सावधान क्योंकि ये यूरीन इंफेक्शन के लक्षण हो सकते हैं। क्या है यूरीन इंफेक्शन का कारण और कैसे होता है इसका इलाज, बता रहे हैं डॉक्टर संजीत सिंह, यूरोलॉजिस्ट।
- क्या है यूरीन में इंफेक्शन का कारण?
- यूरीन इंफेक्शन के लक्षण
- यूरीन इंफेक्शन की जांच
- क्या यूरीन इंफेकशन से किडनी ख़राब होती है?
- कैसे होता है इसका इलाज?
- यूरीन इंफेक्शन से बचाव और डॉक्टर की सलाह
यूरीन इंफेक्शन में दो तरह के भाग प्रभावित होते हैं जिन्हें अपर ट्रैक और लोअर ट्रैक कहा जाता है। अपर ट्रैक में हमारी किडनी और यूरेटर यानि मूत्र वाहिनी प्रभावित होते हैं जबकि ब्लेडर (मूत्राशय) और यूरेथेरा (मूत्र मार्ग) लोअर ट्रैक के अंग हैं जो संक्रमित होते हैं। यूरीन में इंफेक्शन बच्चों के मुक़ाबले बड़ों में ज्यादा देखने को मिलता है वहीं पुरूषों की अपेक्षा महिलाएं इससे ज्यादा प्रभावित होती हैं जिसका कारण है उनके मूत्र मार्ग का छोटा होना।
क्या है यूरीन में इंफेक्शन का कारण? (What causes urine infection in Hindi)
पेशाब के रास्ते में इंफेक्शन का कारण है माइक्रो ऑर्गेनिज्म्स यानि सूक्ष्म जीव। ज्यादातर ये जीव बैक्टीरिया होते हैं जिसमें से ई कोलाई (E coli) सबसे ज्यादा सामान्य रूप से पाया जाता है जबकि और कई मामलों में वायरस, फंगस या परजीवी भी इंफेक्शन के कारण होते हैं। इसके अलावा दूसरे और भी कारण हैं जिनसे संक्रमण होता है जैसे माहवारी के समय, सेक्स और पेशाब करने के बाद साफ़ सफ़ाई ना रखना। इसके अलावा शुगर, पथरी और कब्ज़ के मरीज़ों को भी इंफेक्शन का ख़तरा बना रहता है। साथ ही जिन लोगों का इम्यून सिस्टम कमज़ोर होता है उन्हें भी बार बार इंफेक्शन हो जाता है। बुज़ुर्गों में अक्सर प्रोस्टेट की समस्या के कारण मूत्र के प्रवाह में समस्या आती है। गर्भवती महिलाएं और ऐसी महिलाएं जिनकी माहवारी बंद हो गई हो, उनमें एस्ट्रोजन की कमी की वजह से इंफेक्शन हो जाता है। बच्चों में कब्ज़ और ठीक से पेशाब नहीं करने की वजह से ये दिकक्त होती है।
यूरीन इंफेक्शन के लक्षण (Symptoms of urine infection in Hindi)
लोअर ट्रैक में इंफेक्शन के कारण मरीज़ को बार बार पेशाब लगना, पेशाब में जलन होना और पेशाब का ना रूकना जैसे लक्षण होते हैं। साथ ही मरीज़ के पेशाब से बदबू आती है और उसमें ख़ून या फिर पस का भी डिस्चार्ज हो सकता है। इसके अलावा मरीज़ को कंपकंपी के साथ हल्का बुखार भी हो सकता है। वहीं अगर अपर ट्रैक में हुए इंफेक्शन की बात करें तो इसमें किडनी और यूरेटर प्रभावित होते हैं जिसके कारण मरीज़ को तेज़ बुखार, जी मतलाना और उल्टी होती है। इसके अलावा नीचे की पसलियों में दर्द भी हो सकता है।
यूरीन इंफेक्शन की जांच (Test of urine infection in Hindi)
यूरीन इंफेक्शन के मरीज़ों की जांच से पहले उनके बारे में विस्तार से जानकारी ली जाती है। इसके बाद यूरीन की रूटीन माइक्रोस्कोपी की जाती है जिसमें आरबीसी, डब्ल्यूबीसी और पस सेल्स का पता लगाया जाता है। अगर ये सामान्य संख्या से ज्यादा बढ़े हुए होते हैं तो कल्चर करके इसके बढ़ने का कारण पता लगाया जाता है। कल्चर के रिपोर्ट के मुताबिक बैक्टीरिया, फंगस या फिर वायरस को ख़त्म करने के लिए दवाईयां दी जाती हैं। इसके अलावा जिन लोगों को पेशाब करने में दिक्कत होती है उनका यूरोफ्लो कराया जाता है। कम उम्र की महिलाओं में किडनी में सूजन होने पर पेशाब की थैली में दवाई डालकर चेक किया जाता है।
क्या यूरीन इंफेकशन से किडनी ख़राब होती है? (Does urine infection damage kidney in Hindi)
यूरीन इंफेक्शन जब लोअर ट्रैक से उपर की तरफ़ जाकर किडनी और यूरेटर को प्रभावित करता है तो उसे पाइलोनिफ्राइटिस (Pyelonephritis) कहते हैं। शुरूआत में ये एक्यूट पाइलोनिफ्राइटिस होता है लेकिन जब इंफेक्शन बार बार होने लगे तो ये क्रोनिक पाइलोनिफ्राइटिस में बदल जाता है जो हमारी किडनी के काम करने के तरीके को भी प्रभावित करने लगता है।
कैसे होता है इसका इलाज? (How is it treated in Hindi)
कल्चर द्वारा यूरीन इंफेक्शन का कारण पता लगाकर एंटी बैक्टीरियल या एंटी फंगल दवाईयां दी जाती हैं और इसके अलावा एंटी बायोटिक दवाई भी दी जाती है। सामान्य यूटीआई (यूरीनरी ट्रक्ट इंफेक्शन) होने पर एक हफ्ते तक ट्रीटमेंट करके देखा जाता है जबकि अपर ट्रैक में इंफेक्शन के पहुंच जाने पर ये यूटीआई सामान्य नहीं रह जाता और इसके लिए मरीज़ को अस्पताल में एडमिट करने की ज़रूरत पड़ती है। कुछ मामलों में सीटी स्कैन, एमसीयू की भी ज़रूरत पड़ती है। वहीं जिन मरीज़ों की पेशाब की थैली पूरी तरह खाली नहीं होती, उनका यूरोफ्लो किया जाता है।
यूरीन इंफेक्शन से बचाव और डॉक्टर की सलाह (Prevention of urine infection and doctor’s advice in Hindi)
इंफेक्शन से बचने के लिए पेशाब के रास्ते और इसके आसपास साफ़ सफ़ाई रखना बहुत ज़रूरी होता है। हमेशा साफ़ टॉयलेट का इस्तेमाल करें और ज्यादा देर तक पेशाब को रोक कर ना रखें क्योंकि इससे भी इंफेक्शन का रिस्क बढ़ जाता है। हर दिन सही मात्रा में पानी पीने की आदत डालें। डायबिटीज़ के मरीज़ अपना शुगर कंट्रोल करें, कब्ज़ और डायरिया के रोगी अपना उचित इलाज कराएं। इसके अलावा दूसरे जिन कारणों से इंफेक्शन हो रहा है उसका भी उपचार कराएं। किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर डॉक्टर को दिखाएं।
डिस्कलेमर – यूरीन इंफेक्शन के लक्षण, कारण, इलाज तथा बचाव पर लिखा गया यह लेख पूर्णत: डॉक्टर संजीत सिंह, यूरोलॉजिस्ट द्वारा दिए गए साक्षात्कार पर आधारित है।
Note: This information on Urine Infection, in Hindi, is based on an extensive interview with Dr Sanjeet Singh (Urologist) and is aimed at creating awareness. For medical advice, please consult your doctor.